- बरसाना में आस्था की हिलोरों के मध्य भक्तों की लाइनें थमने का नहीं ले रहीं थी नाम
- पांच लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने डेढ घंटे तक अभिषेक दर्शनों का आनंद लिया
गिरधारी लाल श्रोत्रिय
यूनिक समय, बरसाना (मथुरा)। राधारानी के जन्मोत्सव पर लाडिलीजी मंदिर बधाइयों और वेद की ऋचाओं से गूंज उठा। गर्भ गृह में घंटे-घड़ियाल बजने लगे। गर्भगृह से उठीं ध्वनि प्राचीन भवन की प्राचीरों से टकराती हुई वातावरण में आस्था की हिलोरें भर रही थी। भक्तों की लाइनें भक्तों की शिरोमणि के जन्म की खुशी में थमने का नाम नहीं ले रहीं थी। चाहे उनको कितना भी इंतजार लाइन में लगकर करना ही क्यों न पड़ रहा हो। मंदिर में पहुंचकर जैसे ही श्रीकृष्ण की आल्हादिनी शक्ति के दर्शन करते उनकी रात्रि जागरण की थकान दूर हो रही थी। मंदिर से आनंदित होकर बाहर निकल रहे थे। इस बार पांच लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने डेढ़ घंटे तक राधाजी के जन्म के अभिषेक दर्शन किए।
रविवार को बरसाना ही नहीं यहां के निवासी अपने भाग्य पर इठलाए। क्योंकि उनकी जीवन आराध्य वृषभान नंदनी ने जन्म लिया। जैसे ही ब्रह्मांचल पर्वत पर स्थित लाड़ली जी मंदिर की घड़ी ने रात्रि के दो बजाए वैसे ही बरसानावासी ‘चलो वृषभान गोप के द्वार’ पद गाने लगे। झांझ और मृदंग की स्वर लहरियों ने मंदिर प्रांगण गुजांयमान हो उठा।
वहीं मन्दिर की सेवायत मायादेवी गोस्वामी के सहयोगी सेवायत रसिक मोहन गोस्वामी, उमाशंकर गोस्वामी ध्रुव गोस्वामी तथा भगवान दास गोस्वामी ने राधारानी के विग्रह को गर्भगृह से बाहर निकालकर जगमोहन में कमल पुष्पों से सजी चांदी की चौकी पर विराजमान कर दूध, दही, घी, शहद, बूरा, केशर, इत्र, फुलेल, सत्ताईस कुओं के जल से राधारानी के विग्रह के अभिषेक दर्शन कराने शुरू किए तो समूचा मंदिर परिसर घंटे, घड़ियाल की धुन के साथ राधारानी व वृषभान दुलारी के जयकारे से गूंजने लगा। अभिषेक दर्शन पाने के लिए श्रद्धालुओं का रेला राधारानी मंदिर की तरफ बढ़ने लगा। इसके बाद भक्तों को मंगला आरती के दर्शन कराए गए। इससे पूर्व मंदिर में दाई, मान, सवासनी, नाईन तथा नामकरण आदि लीलाओं के पद गाए गए।
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