यूपी में बिना काम के एक्सप्रेसवे, जनसुविधाओं पर ध्यान नहीं

Expressway

लाइट न पेट्रोल पंप, मुसाफिर परेशान, जनसुविधाओं का ध्यान नहीं
चाहे यमुना एक्सप्रेसवे हो या लखनऊ एक्सप्रेसवे। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे हो या ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे। इन पर सफर भले सुहाना है, लेकिन चुनौतियां भी कम नहीं। अगर गाड़ी में पेट्रोल खत्म हो जाए तो आपको गाड़ी छोड़कर ही आनी होगी। रात में सफर अंधेरे में ही करना होगा। एक्सप्रेसवे पर लाइट की कोई व्यवस्था नहीं है। ट्रैफिक पुलिस की मानें तो हादसे भी इस कारण हो रहे हैं।
एक्सप्रेसवे और ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे पर फर्राटेदार सफर के लिए टोल वसूला जा रहा है, लेकिन न लाइट की सुविधा है और न ही कोई पेट्रोल पंप है। जनसुविधाओं का घोर अभाव है। ऐसे में किसी वाहन में तेल खत्म हुआ तो कोई मदद नहीं मिलेगी। इसी के चलते हादसे हो रहे हैं। पुलिस की ओर से एनएचएआई अधिकारियों को पत्र भेजा जा चुका है। साथ ही व्यवस्था दुरुस्त कराने के लिए कहा गया था।

एक दशक में बने एक्सप्रेसवे

यूपी में करीब करीब सभी एक्सप्रेस वे एक दशक में ही बने हैं। कुछ मूलभूत सुविधाएं दिए जाने के साथ इन पर टोल वसूली शुरू कर दी गई। इसके बाद भी व्यवस्थाएं सुधरी नहीं। ब्लैक स्पॉट होने के बावजूद यहां लाइट की पूरी सुविधाएं नहीं दी गई हैं। ऐसे में यहां आसपास कई हादसे हो चुके हैं। कई हादसों में लोगों की जान भी जा चुकी है। पिछले दिनों पुलिस ने सर्वे किया, उसमें ब्लैक स्पॉट चिन्हित किए गए। आज भी यहां लाइट नहीं है। पेट्रोल पंप जैसी जनसुविधा उपलब्ध नहीं है।
वहीं देश का सबसे हाईटेक कहा जाने वाला ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे पर वाहन चालक सुविधाओं से वंचित हैं। ईपीई पर न पेट्रोल पंप हैं और न ही सार्वजनिक शौचालय। आज तक रेस्ट हाउस नहीं बना है। पथप्रकाश के लिए लगाया गया सोलर सिस्टम भी फेल साबित हो रहा है।

लोगों को नहीं मिल रही बेहतर सुविधा

जिस तरह एक्सप्रेसवे पर एनएचएआई टोल ले रहा है तो जनसुविधाएं नहीं मिल रही। डासना के बाद बिल्कुल अंधेरा रहता है। इस पर एनएचएआई को ध्यान देना चाहिए
– रामसिंह, यात्री।

सफर तो अच्छा है, लेकिन सुविधा नहीं

कुछ दिन पहले की बात है। मैं परिवार के साथ दिल्ली से आ रहा था। रात करीब 11 बज रहे थे। चिपियाना के बाद तो ऐसा लगने लगा कि बिल्कुल जंगल में गाड़ी चल रही है। सफर अच्छा है, लेकिन लाइट, पेट्रोल पंप, होटल आदि की कोई सुविधा अब तक उपलब्ध नहीं है
– राजेश कुमार, यात्री।

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