हाईवे चौड़ीकरण के कारण श्रीहनुमान मंदिर को जैक लगा कर पीछे किया जा रहा है, मंदिर के विस्तार के लिए जमीन कम पड़ रही थी
शाहजहांपुर के तिलहर क्षेत्र के कछियानीखेड़ा स्थित श्रीहनुमान मंदिर के भव्य विस्तार के लिए मुस्लिम समाज के बाबू अली ने बड़ा दिल दिखाया है। उन्होंने मंदिर निर्माण के लिए अपनी एक बीघा जमीन श्रीहनुमान मंदिर के नाम मंगलवार को तिलहर के रजिस्ट्रार कार्यालय में दान दे दी। इसके लिए जरूरी लिखापढ़ी और बैनामे की प्रक्रिया पूरी की गई। विक्रेता के रूप में बाबू अली और क्रेता के रूप में तिलहर की एसडीएम राशि कृष्णा ने बैनामा में हस्ताक्षर किए।
हाईवे चौड़ीकरण को लेकर कछियानीखेड़ा भगवान श्री हनुमान मंदिर को दूसरी जगह स्थापित करने के लिए प्रशासनिक प्रक्रिया कई दिनों से चल रही है। पूर्व गृह राज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती ने भी आकर मंदिर में पूजन किया था और मंदिर को भव्य रूप देने की बात कही थी। मंदिर को और अधिक जगह देने के लिए एसडीएम राशि कृष्णा एवं तहसीलदार ज्ञानेंद्र नाथ मंदिर के पीछे स्थित खेत स्वामी बाबू अली से संपर्क में थे, लेकिन अधिकारियों की बात बाबू अली से नहीं बन सकी थी।
इसके बाद खेत मालिक बाबू अली से स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती ने जमीन देने के लिए वार्ता की। बाबू अली ने भगवान हनुमान जी के मंदिर के लिए जमीन बेचने से मना करते हुए जमीन दान करने की बात कही। मंगलवार को तिलहर के मोहल्ला हिन्दू पट्टी निवासी बाबू अली ने तहसील पहुंचकर एक बीघा जमीन का बैनामा कर दिया। बैनामे में एसडीएम राशि कृष्णा ने क्रेता के रूप में हस्ताक्षर किए। बाबू अली बैनामा की कापी लेकर अधिकारियों के साथ भगवान श्री हनुमान मंदिर पर पहुंचे। यहां पर मौजूद स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती के साथ मिलकर उन्होंने भगवान श्री हनुमान के चरणों में बैनामे की कापी अर्पित कर दी। इस दौरान आफताब अली, संजीव गुप्ता ठेकेदार, एसएस कालेज के पूर्व प्राचार्य डा.अवनीश मिश्रा, फिरोज हसन खान आदि मौजूद रहे।
हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिसाल, हर तरफ तारीफ
हिन्दू-मुस्लिम एकता का परिचय देते हुए बाबू अली ने बड़ा दिल दिखाया और भगवान श्री हनुमान मंदिर के लिए अपनी हाईवे की बेशकीमती एक बीघा जमीन दान कर दी। उनके इस कदम की प्रशासनिक अधिकारी ही नहीं, समाज के हर वर्ग लोग प्रशंसा कर रहे हैं। बता दें कि मंदिर हाईवे के बीच में होने से हाईवे निर्माण को लेकर अफसर लम्बे समय से पशोपेश में थे। पहले तो मंदिर ही विस्थापित होने पर अटकलें लग रहीं थीं मगर जब मंदिर विस्थापित होने को सब राजी हुए तो जमीन नहीं मिल पा रही थी। इस पर मुस्लिम समाज के बाबू अली ने सभी अटकलों और मुश्किलों पर विराम लगाते हुए जमीन दान कर दी। अब हाईवे निर्माण का रास्ता भी साफ हो गया है।
Leave a Reply