
बेमौसमी बारिश व बाढ़ के कारण मौसम में बदलाव हो चुका है। इससे रात का तापमान ठंडा और दिन का गर्म होने लगा है। इसी बदलते मौसम की वजह से हजारों किलोमीटर का सफर तय कर साइबेरियन पक्षी भारत आने लगे हैं। भारत-नेपाल सीमा पर डेमोजेइन क्रेन का एक समूह पहुंच गया है। वन विभाग ने भी साइबेरियन पक्षियों की सुरक्षा और निगरानी के तहत उन स्थानों को चिह्नित करना शुरू कर दिया है, जहां ये परिंदे ठहर सकते हैं।
साइबेरिया से हजारों किलोमीटर की उड़ान भरके ये परिंदे भारत पहुंचे हैं। तमाम परिंदे अभी भी अपने रास्ते में हैं। भारत नेपाल सीमा के तिकुनिया क्षेत्र व कतर्निया घाट सेंचुरी के करीब साइबेरिन परिंदों का समूह पहुंच चुका है। सबसे पहले पहुंचने वाले डेमोजेइल क्रेन हैं। साइबेरिया से चलकर डेमोजेइल क्रेन का एक बड़ा दल यूपी के दुधवा टाइगर रिजर्व के जंगलों से सटे इस तराई के इलाके में पहुंच गया है। वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी आईएफएस रमेश कुमार पांडेय कहते हैं कि दुधवा और तराई का यह क्षेत्र परिंदों को बहुत भाता है। अक्सर ठंडे देशों में बर्फबारी होने पर ये परिंदे गर्म देश जैसे भारत में आ जाते हैं। इस बार तराई के मौसम में जल्द परिवर्तन आया है। एक वजह यह भी हो सकती है परिंदों के जल्द आने की। वैसे साइबेरियन पक्षी दिसंबर महीने में आते हैं।
छोटे सारस की तरह दिखते हैं परिंदे
हजारों किलोमीटर की यात्रा कर बर्फ से ढके पहाड़ों को छोड़ सर्दियों में ये परिंदे भारत आते हैं। भारत, चीन के ऊंचें पहाड़ों को पारकर इंडो नेपाल बॉर्डर होते हुए ये परिंदे भारत में दाखिल होते हैं। मध्य यूरोसाइबेरिया में पाए जाने वाली क्रेन की एक प्रजाति का भारत में प्रवास ज्यादातर सर्दियों में राजस्थान में होता है। इस पक्षी को कुंज या कुर्जा के नाम से जानते हैं। बीच-बीच में परिंदे खास ठिकानों पर तीन दिनों से एक हफ्ते तक रुकते हैं। दाना, पानी चुग के ये फिर अपने सफर पर आगे बढ़ जाते हैं।
वन विभाग निगरानी को चिह्नित कर रहा स्थान
डेमोजेइल क्रेन दुधवा टाइगर रिजर्व का ये इलाका पसंद आ रहा है। हर साल सर्दियों के पहले डिमोजेइल क्रेन के बड़े बड़े समूह आकर दुधवा या आसपास के इलाके में रुकते हैं। खासकर धान के खेत इनको खासे पसन्द हैं। इस वक्त धान की कटाई हो रही है। उधर वन विभाग ने इन परिंदों की सुरक्षा को लेकर तैयारी कर ली है। दुधवा टाइगर रिजर्व के निदेशक संजय पाठक कहते हैं कि हर साल साइबेरियन पक्षी आकर दुधवा व आसपास के जलाशयों के पास ठहरते हैं। विभाग इसके लिए उन स्थानों को चिह्नित कर रहा है। हमारी टीमें लगातार निगरानी करेंगी।
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