स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण की तरफ से NCDC और ICMR को चिट्ठी लिखी गई है. उन्होंने कहा है कि अगर कोरोना के नए वैरिएंट्स की समय रहते पहचान करनी है, इसके लिए जीनोम सीक्वेंसिंग जरूरी है. राज्यों को भी निर्देश दिया गया है कि वे जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए सैंपल भेजे.
स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण की तरफ से NCDC और ICMR को चिट्ठी लिखी गई है. उन्होंने कहा है कि अगर कोरोना के नए वैरिएंट्स की समय रहते पहचान करनी है, इसके लिए जीनोम सीक्वेंसिंग जरूरी है. राज्यों को भी निर्देश दिया गया है कि वे जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए सैंपल भेजे.
विश्व के कई बड़े देशों में कोरोना के केस अचानक बढ़ गए हैं. खासकर अमेरिका, ब्राजील, चीन, कोरिया और जापान में कोरोना के केस में अचानक इजाफा देखा जा रहा है. इससे केंद्र सरकार अलर्ट मोड पर आ गई है. सरकार ने सभी राज्यों से सतर्क रहने को कहा है.
हफ्ते में कोरोना के 1200 नए केस
बता दें कि भारत में अभी भी हफ्ते में कोरोना के 1200 नए केस सामने आ रहे हैं, जबकि दुनियाभर में 35 लाख मामले वीकली रिपोर्ट हो रहे हैं, यानी पब्लिक हेल्थ चैलेंज अभी खत्म नहीं हुआ है.
क्या है जीनोम सीक्वेंसिंग?
आसान शब्दों में कहा जाए तो जीनोम सीक्वेंसिंग एक तरह से किसी वायरस का बायोडाटा होता है. कोई वायरस किस तरह का है, किस तरह का वह दिखता है, इन सभी चीजों की जानकारी हमें जीनोम के जरिए मिलती है. इसी वायरस के विशाल समूह को जीनोम कहा जाता है. वायरस के बारे में जानने की विधि को जीनोम सीक्वेंसिंग कहते हैं. इससे ही कोरोना के नए स्ट्रेन के बारे में पता चला है.
देश में जीनोम सीक्वेंसिंग के 10 ही लैब
देश में इस वक्त जीनोम सीक्वेंसिंग के 10 ही लैब है, जहां से इसके बारे में पता लगाया जाता है. इनमें- इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (नई दिल्ली), CSIR-आर्कियोलॉजी फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (हैदराबाद), DBT – इंस्टीट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज (भुवनेश्वर), DBT-इन स्टेम-एनसीबीएस (बेंगलुरु), DBT – नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल जीनोमिक्स (NIBMG), (कल्याणी, पश्चिम बंगाल), ICMR- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (पुणे) के लैब शामिल हैं.
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