चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों के लिए जारी की गाइडलाइन

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2024 के संबंध में चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों के लिए गाइडलाइन जारी किया है। इसमें चुनाव आयोग ने पार्टियों से कहा है कि वे दिव्यांग लोगों के प्रति अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करने से बचें। चुनाव आयोग ने बताया है कि हाल के दिनों में राजनीतिक चर्चा में विकलांग लोगों के बारे में अपमानजनक या आक्रामक भाषा का इस्तेमाल किया गया। किसी भी राजनीतिक दल के सदस्यों या उनके उम्मीदवारों द्वारा इस तरह की बात की जाती है तो इसे दिव्यांगजनों का अपमान समझा जा सकता है।

चुनाव आयोग ने उदाहरण देकर बताया है कि किस तरह के शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। इसमें गूंगा, पागल, सिरफिरा, अंधा, काना, बहरा, लंगड़ा, लूला और अपाहिज जैसे शब्द हैं। चुनाव आयोग ने कहा है कि इस तरह की अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। राजनीतिक चर्चा या चुनावी अभियान में दिव्यांगों को न्याय और सम्मान दिया जाना चाहिए। चुनाव आयोग ने कहा है कि दिव्यांग के प्रति अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करने पर विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम 2016 की धारा 92 के तहत कार्रवाई हो सकती है। इसमें 5 साल जेल तक का प्रावधान है।

चुनाव आयोग के दिशा-निर्देश

राजनीतिक दलों और उनके प्रतिनिधियों को किसी भी सार्वजनिक बयान या भाषण के दौरान विकलांगता पर अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
राजनीतिक दलों और उनके प्रतिनिधियों को विकलांगता से संबंधित टिप्पणियों से सख्ती से बचना चाहिए।

अगर विकलांग लोगों के लिए अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया जाता है तो विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम 2016 की धारा 92 के प्रावधान लागू हो सकते हैं। भाषणों, सोशल मीडिया पोस्ट, विज्ञापनों और प्रेस विज्ञप्तियों सहित सभी प्रचार के साधनों की समीक्षा राजनीतिक दलों द्वारा की जानी चाहिए ताकि दिव्यांग लोगों के प्रति भेदभावपूर्ण भाषा के इस्तेमाल को रोका जा सके।

सभी राजनीतिक दल अपनी वेबसाइट पर घोषित करें कि वे विकलांगता और लिंग-संवेदनशील भाषा और शिष्टाचार का उपयोग करेंगे। वे मानवीय समानता, गरिमा और स्वायत्तता का सम्मान करेंगे। सभी राजनीतिक दल CRPD (विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों पर कन्वेंशन) में बताए गए शब्दावली का इस्तेमाल करेंगे। वे किसी अन्य शब्दावली का इस्तेमाल नहीं करेंगे।

सभी राजनीतिक दल अपने सार्वजनिक भाषणों, चुनाव अभियानों और कार्यक्रमों को सभी नागरिकों के लिए सुलभ बनाएंगे। पार्टियां विकलांग लोगों के साथ बातचीत आसान बनाने के लिए वेबसाइट और सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर सकते हैं। सभी राजनीतिक दल पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए विकलांगता पर एक ट्रेनिंग मॉड्यूल दे सकते हैं। वे भाषा से संबंधित विकलांग लोगों की शिकायतों को सुनने के लिए नोडल प्राधिकारी नियुक्त करेंगे।

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