पांच साल के संघर्ष के बाद भी 55000 अभ्यर्थियों को नहीं मिली वर्दी, सड़कों पर उतरे डेढ़ लाख युवा

मंगलवार सुबह ज्वाइनिंग लेटर न मिलने का विरोध कर रहे सेना के लिए चयनित अभ्यर्थियों को उपराष्ट्रपति आवास के बाहर हिरासत में ले लिया गया है। देश में अग्निपथ योजना लागू होने से पहले रक्षा बलों में चयनित इन 1.5 लाख युवाओं के प्रतिनिधिमंडल ने उपराष्ट्रपति से मिलने का समय मांगा था, उन्हें समय नहीं मिला…

पांच वर्षों के दौरान आर्मी, वायु सेना और सीएपीएफ भर्ती से जुड़े दो बड़े आंदोलन हुए हैं। इनमें से एक आंदोलन तो अभी तक जारी है। करीब डेढ़ लाख युवा, जिन्होंने सेना और वायुसेना में भर्ती होकर देश सेवा करने का सुनहरा सपना देखा था, उसे तोड़ दिया गया है। नतीजा, डेढ़ लाख युवा सेना भर्ती का नियुक्ति पत्र लेने के लिए सड़कों पर उतरे हैं। मंगलवार को इन युवाओं ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के आवास के बाहर खड़े होकर प्रदर्शन किया। दूसरी तरफ, इसी तरह का एक बड़ा आंदोलन, जो पांच साल तक जारी रहा, उसमें भी केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में भर्ती होने के सभी पड़ाव पार कर चुके लगभग 55 हजार युवाओं को वर्दी नहीं मिल सकी। एसएससी जीडी 2018 की भर्ती का रिजल्ट चार साल में आया था। इसके चलते अनेक अभ्यर्थी ओवरएज हो गए। उनके पास दूसरा चांस भी नहीं बचा।

मंगलवार सुबह ज्वाइनिंग लेटर न मिलने का विरोध कर रहे सेना के लिए चयनित अभ्यर्थियों को उपराष्ट्रपति आवास के बाहर हिरासत में ले लिया गया है। देश में अग्निपथ योजना लागू होने से पहले रक्षा बलों में चयनित इन 1.5 लाख युवाओं के प्रतिनिधिमंडल ने उपराष्ट्रपति से मिलने का समय मांगा था, उन्हें समय नहीं मिला। अभ्यर्थियों ने मजबूर होकर उपराष्ट्रपति आवास के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। हालांकि ये प्रदर्शन बिल्कुल शांतिपूर्ण तरीके से किया गया। जिस वक्त उपराष्ट्रपति का काफिला गुजर रहा था, युवाओं ने लाइन पार करने की कोशिश नहीं की। उन्होंने दूर खड़े होकर प्रदर्शन किया। अभ्यर्थियों के साथ मौजूद रहे कांग्रेस पार्टी के ‘पूर्व सैनिक विभाग’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष कर्नल रोहित चौधरी ने कहा, केंद्र सरकार ने डेढ़ लाख से ज्यादा युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है। ये सभी युवा, सेना में भर्ती होने के काबिल थे। इन्होंने भर्ती के दो पड़ाव भी पार कर लिए थे। सरकार, अब इन युवाओं को तुरंत ज्वाइनिंग दे।

युवाओं का कहना है कि केंद्र सरकार ने अग्निपथ योजना लाकर लाखों युवाओं के सपनों को रौंद दिया है। डेढ़ लाख से अधिक युवाओं को ‘अग्निपथ’ योजना लागू होने से पहले तीनों सेनाओं में भर्ती के लिए चयनित किया गया था, लेकिन आज तक उन्हें ज्वाइनिंग लैटर नहीं मिला है। इनमें एयरफोर्स के 7000 युवा और नर्सिंग असिस्टेंस आर्मी (मेडिकल कोर) के लगभग 2,500 नर्सिंग असिस्टेंट भी शामिल हैं। इनकी भर्ती की सारी प्रक्रिया पूरी हो चुकी थी। 2019 से 2021 के बीच आर्मी में हुई लगभग 97 भर्तियों को भी ‘अग्निपथ’ योजना की आड़ में रद्द कर दिया गया। चौधरी के मुताबिक, ऐसा भी नहीं था कि इन युवाओं ने सेना में भर्ती होने का केवल सपना ही देखा। उन्होंने अपने सपने को साकार करने के लिए जी तोड़ मेहनत की थी। भर्ती के दो पड़ाव भी पार कर लिए थे। केंद्र सरकार ने उसी वक्त ‘अग्निपथ’ योजना लागू कर दी। नतीजा, नियुक्ति पत्र लेने का इंतजार कर रहे डेढ़ लाख युवाओं के सपने चूर-चूर हो गए। तब से लेकर अब तक वे युवा, सड़कों की खाक छान रहे हैं। दिल्ली के जंतर मंतर पर कड़ाके की ठंड में इन युवाओं ने अपने हक के लिए हुंकार भरी थी। सरकार, इन युवाओं को तुरंत ज्वाइनिंग दे।

केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में सिपाही के पद पर नियुक्ति के लिए करीब 55 मेडिकल पास अभ्यर्थियों ने पांच वर्ष तक संघर्ष किया है। उन्होंने नागपुर से दिल्ली तक पैदल मार्च निकाला। जंतर मंतर पर धरना दिया। अभ्यर्थियों ने एक माह का आमरण अनशन भी किया। नियुक्ति पत्र के लिए सांसदों और मंत्रियों से गुहार लगाई, लेकिन कुछ नहीं हुआ। मेडिकल फिट अभ्यर्थियों को दिल्ली उच्च न्यायालय के एक फैसले से बड़ी राहत मिली थी। उन्हें भरोसा था कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के हस्तक्षेप से उन्हें ज्वाइनिंग मिल जाएगी, मगर ऐसा कुछ नहीं हो सका। युवाओं को न तो एसएससी की ओर से कुछ बताया गया और न ही केंद्रीय गृह मंत्रालय से उन्हें कोई संतोषजनक जवाब मिला। युवाओं का कहना था, एसएससीजीडी 2018 की भर्ती का फाइनल रिजल्ट चौथे साल में आया था। लगभग साठ हजार खाली पदों की एवज में करीब 54 हजार युवाओं को केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में ज्वाइनिंग दी गई। इससे पहले 109552 युवाओं को मेडिकल फिट घोषित किया गया था। इन्हें ज्वाइनिंग लैटर मिलने की पूरी उम्मीद थी। चूंकि भर्ती का रिजल्ट चार साल में आया था, इसलिए अनेक अभ्यर्थी ओवरएज हो गए। उनके पास दूसरा चांस भी नहीं बचा।

मेडिकल फिट अभ्यर्थियों ने अपनी मांग के समर्थन में दिल्ली हाई कोर्ट के एक फैसले का हवाला भी दिया था। उसमें कहा गया था कि 13 जून 2000 को डीओपीटी द्वारा जारी एक कार्यालय ज्ञापन का जिक्र हुआ था। ज्ञापन में कहा गया कि सरकार के पास जो वैकेंसी बची हैं, उनके भरने से अभ्यर्थियों का भला होगा। दूसरा, इससे सरकार का खर्च बचेगा, क्योंकि उसे दोबारा से भर्ती प्रक्रिया शुरू नहीं करनी पड़ेगी। एसएसबी व सीएपीएफ में जो रिक्त पद हैं, उन्हें भर्ती प्रक्रिया में पहले से शामिल रहे अभ्यर्थियों के माध्यम से भरा जाए। इसमें मेरिट, श्रेणी और स्टेट डोमिसाइल देखा जाए। साथ ही अभ्यर्थियों को वरिष्ठता भी देनी होगी, मगर उन्हें पिछले वेतन का लाभ नहीं मिलेगा। कोर्ट ने सरकार को नियुक्ति पत्र देने के लिए चार सप्ताह का समय दिया था। इसके बाद अभ्यर्थियों ने एसएससी और केंद्रीय गृह मंत्रालय में भर्ती स्टेट्स मालूम करने का प्रयास किया, मगर कहीं से कोई सूचना नहीं मिली। हाई कोर्ट ने कई याचिकाओं को मिलाकर उनकी एक साथ सुनवाई करते हुए वह फैसला दिया था। सीएपीएफ में भर्ती प्रक्रिया के विभिन्न चरणों को पास करते हुए 152226 अभ्यर्थी मेडिकल के लिए भेजे गए। इनमें से 109552 अभ्यर्थी पास हो गए। जब रिजल्ट घोषित किया गया तो 54411 अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र देने की बात सामने आई।

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