सनातन धर्म में महाशिवरात्रि पर्व का बहुत ही बड़ा महत्व है। महाशिवरात्रि का पर्व के दिन पूरे उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत में भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा की जाती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा करते समय “संकल्प मंत्र” का जाप भी किया जाता है। बता दें कि आमतौर पर महाशिवरात्रि के दिन सभी भक्त सुबह-सुबह ही पूजा करते हैं लेकिन कुछ लोगों का मनाना है कि इस महाशिवरात्रि पर रात में महादेव की पूजा करने का अलग ही महत्व है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सनातन धर्म में महाशिवरात्रि की एक ऐसा पर्व है जिसमें इकलौता पर्व है जिसमें सुबह की जगह रात में भी पूजा की जाती है। मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन सुबह और दोपहर की पूजा से ज्यादा रात्रि में की जाने वाली पूजा बहुत ही लाभकारी और शुभ फलदायी होती है।
माना जाता है कि जो लोग महाशिवरात्रि के दिन रात्रि में जागरण करते हैं उनसे देवी-देवता बहुत ही जल्द प्रसन्न होते हैं। बता दें कि महाशिवरात्रि के दिन चार प्रहर में पूजा की जाती है।
महाशिवरात्रि की क्या है पूजा-विधि
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन जो भक्त उपवास रखते हैं, उन्हें पूरे दिन भगवान शिव के मंत्र ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करते रहना चाहिए। साथ ही महाशिवरात्रि के दिन व्रत किए हैं और रहा नहीं जा रहा है तो फलाहार भी सकते हैं। अगर आप सिर्फ पानी पी कर व्रत रखना चाहते हैं तो वह भी कर सकते हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महाशिवरात्रि पर रात्रि की पूजा करना बहुत ही लाभदायक और शुभ फलदायी रहता है। इस दिन पूजा करने के लिए सबसे पहले शाम को स्नान करें उसके बाद उत्तर दिशा में मुंह करके बैठे और व्रत-पूजा का संकल्प लें।
महाशिवरात्रि के दिन कैसे लें संकल्प
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, संकल्प लेने के लिए आपको सबसे पहले इस मंत्र का जाप करना चाहिए- ‘ममाखिलपापक्षयपूर्वकसलाभीष्टसिद्धये शिवप्रीत्यर्थं च शिवपूजनमहं करिष्ये’। इस मंत्र को पढ़ने के बाद शिवलिंग को जल से स्नान कराएं। साथ ही शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, फूल और चंदन जरूर अर्पित करें। साथ ही भांग का भोग जरूर लगाएं।
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