उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद ने रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवे मिनिस्ट्री के साथ तैयार की योजना
प्रथम चरण में प्रस्तावित वृंदावन क्षेत्र का संबंधित अधिकारियों ने किया प्रारंभिक निरीक्षण
वरिष्ठ संवाददाता
यूनिक समय ,मथुरा। निकट भविष्य में भगवान श्रीकृष्ण की जन्म और लीला स्थली मथुरा-वृंदावन में दर्शन को आने वाले श्रद्धालु रोप वे के सफर का लुफ्त उठाएंगे। मथुरा-वृंदावन में सड़कों के बजाय रोप वे से मंदिरों तक पहुंचेंगे। इसकी शुरुआत वृदावन से की जाएगी। इसके लिए प्रस्तावित वृंदावन क्षेत्र का संबंधित अधिकारियों ने तकनीकी टीम के साथ निरीक्षण किया।
उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद ने नेशनल रोपवे डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवे मिनिस्ट्री के साथ मिलकर बृहद रोपवे का प्रस्ताव तैयार किया है। इसके लिए शुक्रवार को उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के सीईओ श्याम बहादुर सिंह और एनएचएलएम के सीईओ प्रकाश गौड़ सहित संबंधित अधिकारियों ने प्रारंभिक निरीक्षण किया। सीईओ श्याम बहादुर सिंह ने बताया कि रोप वे का प्लान तीन चरणों में पूरा होगा। प्रथम चरण में यह छटीकरा मार्ग पर वैष्णो देवी मंदिर से शुरू होकर बिहारीजी मंदिर होकर दारुल पार्किंग तक जाएगा। इनके मध्य चंद्रोदय मंदिर, मल्टी लेवल पार्किंग, प्रेम मंदिर इस्कॉन मंदिर, अटल्ला चुंगी तक आठ स्टेशन बनाए जाएंगे। इस में 40 टावर बनाए जाएंगे।
उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के सीईओ श्याम बहादुर सिंह ने बताया कि प्रथम फेस के रोपवे की यात्रा आठ स्टेशनों से गुजरते हुए 32 मिनट में पूरी होगी। इसकी स्पीड 6 मीटर प्रति सेकेंड रहेगी। इससे 1500 से 2000 व्यक्ति प्रति घंटा रोप वे का सफर तय कर सकेंगे। इस तरह प्रति दिन 12000 लोग इस से वृंदावन के विभिन्न मंदिरों तक रोप वे से यात्रा करेंगे। उन्होंने बताया कि इस प्रारंभिक निरीक्षण के बाद अब ड्रोन सर्वे किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि द्वितीय चरण में राम ताल पार्किंग और वृंदावन बाईपास तक इसका विस्तार किया जाएगा। तृतीय चरण में इसे मथुरा तक विस्तारित किया जाएगा। इस में बिरला मंदिर, द्वारिकाधीश और श्रीकृष्ण जन्म स्थान तक रोप वे पहुंचेगा। इसकी ऊंचाई मास्टर प्लान में निर्धारित भवन निर्माण की अनुमति से 10 मीटर ऊंची होगी, जिससे किसी प्रकार का व्यवधान पैदा न हो।
सीईओ श्याम बहादुर सिंह ने बताया कि रोप वे की यह प्रस्तावित योजना के अमल में आने के बाद श्रद्धालु सड़कों की बैगर भीड़ भाड़ के मंदिर तक आसानी से पहुंच सकेंगे। इस योजना पर 80 से 100 करोड़ रुपए प्रति किलोमीटर खर्च आने का अनुमान है।
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