मथुरा न्यूज़: सुप्रीम कोर्ट के आदेश से हिंदू पक्ष को झटका

श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद मामले पर हिंदू पक्ष को झटका

यूनिक समय ,मथुरा। श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद के मामले में सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद हिंदू पक्ष को झटका लगा है। हिंदू पक्ष ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद और आगरा की जामा मस्जिद का एएसआई द्वारा सर्वे कराने की मांग थी। अब सुप्रीम कोर्ट ने धर्मस्थलों के सभी प्रकार के सर्वे पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट में लंबित 18 वादों में ये भी शामिल हैं।

इस प्रकरण में हिंदू पक्ष के अधिवक्ता महेंद्र प्रताप ने कोर्ट में वाद दायर वाद किया था। इस पक्ष का दावा है कि सन् 1670 में औरंगजेब ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर का विध्वंस किया था। उसी दौरान वह भगवान केशवदेव (श्रीकृष्ण) के विग्रह को यहां से आगरा ले गया। उसने इसे आगरा की जामा मस्जिद की सीढि़यों पर जानबूझकर स्थापित कराया। सीढि़यों से लोग गुजरते हैं तो प्रभु का अपमान होता है। ऐसे में हिंदू पक्ष ने मांग की कि आगरा की जामा मस्जिद और शाही ईदगाह का एएसआई के द्वारा सर्वे कराया जाए।

शाही ईदगाह कमेटी के पक्षकार एडवोकेट तनवीर अहमद ने बताया कि हिंदू पक्ष वाद संख्या तीन और 13 में यह मांग की जिसमें उन्होंने हाईकोर्ट से प्रार्थना की कि मुस्लिम पक्ष को इस प्रकरण में पक्षकार बनाया जाए। इसे न्यायालय ने स्वीकार कर लिया था। जिन 18 वादों में सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को आदेश दिया है उनमें ये दोनों याचिकाएं भी शामिल हैं। तनवीर अहमद के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने प्लेसेज ऑफ वर्शिप 1991 एक्ट के तहत धर्मस्थलों के विवाद पर निचली अदालतों को किसी भी प्रकार का आदेश देने व सर्वे कराने से मना कर दिया है।

ऐसे में शाही ईदगाह मस्जिद और आगरा की जामा मस्जिद का एएसआई सर्वे की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट के अग्रिम आदेश तक इलाहाबाद हाईकोर्ट में लंबित रहेंगी। महेंद्र प्रताप सिंह के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का गंभीरता से अवलोकन करेंगे। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में तथ्य रखेंगे।

श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में पक्षकार दिनेश शर्मा फलाहारी ने कहा कि प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 को समाप्त करने के लिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट में कई बार बहस हो चुकी हैं। साथ ही उन्होंने इस एक्ट को लेकर कांग्रेस पार्टी को घेरा है। कहा कि कांग्रेस सरकार ने यह एक ऐसा काला कानून बनाया है, जिससे प्रत्येक सनातनी को अपने मठ मंदिरों की लड़ाई लड़ने में परेशानी होती है।

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*