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यूनिक समय, नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने अपने दो दिवसीय केरल दौरे के दौरान एक हिंदू धर्म सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि “हिंदू समाज विश्व का गुरु बनेगा, इसमें कोई दो राय नहीं है।” उन्होंने कहा कि हिंदू समाज को अपना जीवन चलाने के लिए हिंदू एकता की आवश्यकता है, और इससे शक्ति उत्पन्न होगी।
मोहन भागवत ने कहा कि विश्व में एक नियम है कि जो समाज संगठित है, उसका उत्कर्ष होता है, और जो समाज विभक्त है, उसका पतन होता है। उन्होंने कहा कि इतिहास और वर्तमान दोनों इसके साक्षी हैं। उन्होंने यह भी कहा कि शक्तिमान होने से बाकी विश्व को खतरा भी हो सकता है, क्योंकि शक्ति तो शक्ति है, और उसको दिशा देने वाला मनुष्य होता है। उसकी बुद्धि कैसी है, उस पर निर्भर है।
उन्होंने कहा कि हिंदू एकता विश्व के लिए उपकारी होगी, क्योंकि हिंदू एक स्वभाव का नाम है। हिंदू में अनेक मत, पंथ, संप्रदाय हैं, अनेक भाषाएं हैं, विशाल देश अपना है, जिसमें हिंदू रहता है। उन्होंने कहा कि भूगोल अलग-अलग है, वातावरण अलग-अलग है, खान-पान, रहने की जगह भी अलग-अलग प्रकार की है, लेकिन इन सब के बाद भी सबका एक स्वभाव है, उस स्वभाव का नाम हिंदू है।
उन्होंने कहा दुनिया के सारे कलह दो बातों के कारण हैं, एक है स्वार्थ, दूसरा है भेद। मनुष्य एक दूसरे को एकता की भाव से, समदृष्टि से देखता नहीं है। वह दिखता अलग है, इसलिए जो अपने से अलग दिखता है, उसे अपने से अलग मानता है। उन्होंने कहा कि वास्तव में यह जो विविधताएं हैं, मनुष्य की भौतिक जीवन की विविधता हो, अथवा अनेक मत संप्रदायों का दिखने वाला अलग-अलग स्वरूप हो, अलग-अलग तत्व ज्ञान हो, अलग-अलग ग्रंथ हो, अलग-अलग गुरु हो, ये देश, काल, स्थिति के अनुसार अलग-अलग हो जाते हैं।
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