प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट, 1991 को लेकर सुप्रीम कोर्ट हुआ सख्त

प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991

यूनिक समय, नई दिल्ली। प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त हो गया है। कोर्ट ने कहा है कि अब इस मामले में कोई नई याचिका स्वीकार नहीं की जाएगी। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि इस मामले में पहले से ही कई याचिकाएं लंबित हैं और अब नई याचिकाओं की सुनवाई नहीं हो सकती। हालांकि, जो लोग इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहते हैं, वे लंबित याचिकाओं में हस्तक्षेप याचिका दाखिल कर सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि वह प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के खिलाफ याचिकाओं पर अप्रैल में सुनवाई करेगा। कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस मामले में अपना जवाब दाखिल करने को कहा है।

प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 कहता है कि 15 अगस्त 1947 को जो धार्मिक स्थल जिस स्थिति में था, वह उसी स्थिति में रहेगा। इस कानून को चुनौती देने वाली कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई हैं। इन याचिकाओं में कहा गया है कि यह कानून हिंदू, जैन, सिख और बौद्ध समुदाय को अपना अधिकार मांगने से वंचित करता है।

सुप्रीम कोर्ट ने 12 दिसंबर, 2024 को देश भर में धार्मिक स्थलों को लेकर नए मुकदमे दर्ज करने पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने कहा था कि जो मुकदमे लंबित हैं, उनमें सुनवाई जारी रह सकती है, लेकिन निचली अदालतें कोई भी प्रभावी या अंतिम आदेश न दें। निचली अदालतें फिलहाल सर्वे का भी आदेश न दें।

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के खिलाफ याचिकाओं के लिए एक बड़ा झटका है। हालांकि, अभी भी यह देखना बाकी है कि सुप्रीम कोर्ट इन याचिकाओं पर क्या फैसला लेता है।

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