
यूनिक समय, नई दिल्ली। अप्रैल माह में लगातार पड़ रही छुट्टियों ने आम नागरिकों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। जहां सरकारी कर्मचारियों को इन अवकाशों से राहत मिलती है, वहीं आम जनता अपने जरूरी कार्यों को लेकर सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर है।
अप्रैल में छुट्टियों की लंबी श्रृंखला देखने को मिल रही है। 12 अप्रैल को दूसरा शनिवार, 13 को रविवार, 14 अप्रैल को डॉ. भीमराव अंबेडकर जयंती, 18 को गुड फ्राइडे, 20 अप्रैल को पुनः रविवार, 26 को चौथा शनिवार, 27 को फिर रविवार और 29 को भगवान परशुराम जयंती — इन सभी अवसरों पर सरकारी दफ्तर बंद रहेंगे। कई राज्यों में इसके अतिरिक्त स्थानीय छुट्टियाँ भी लागू हैं।
इस स्थिति से सबसे ज़्यादा प्रभावित वह आम नागरिक है जिसे किसी सरकारी कार्य हेतु दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। लोगों का कहना है कि काम समय पर पूरे नहीं हो पाते और वे बार-बार तारीख़ों में उलझकर रह जाते हैं।
जहाँ निजी क्षेत्र में छुट्टियाँ सीमित और नियोजित होती हैं, वहीं सरकारी अवकाशों की संख्या कई बार आम आदमी की सहूलियत पर भारी पड़ती है।
सरकारी अवकाशों का सीधा असर आम नागरिकों के कामकाज पर पड़ रहा है। जरूरत है एक संतुलन की, जिससे न सिर्फ कर्मचारियों को आराम मिले बल्कि जनता के काम भी बाधित न हों।
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