
यूनिक समय, मथुरा। प्रभु की कथा और संतों का सान्निध्य ही ऐसा साधन है, जिससे मनुष्य बिना विशेष प्रयास के जीवन के दुखों और संसार सागर को पार कर सकता है। यही बात श्रीमज्जगद्गुरु अग्रदेवाचार्य एवं मलूकपीठाधीश्वर स्वामी राजेन्द्रदास देवाचार्य महाराज ने वंशीवट स्थित श्री मलूकपीठ बिहारी सेवा संस्थान में चल रहे 451वें श्रीमद् जगद्गुरु द्वाराचार्य श्री मलूकदास देवाचार्य महाराज जयंती महोत्सव के पंचम दिवस पर व्यासपीठ से कही।
इस दिन मलूकदास जी की जयंती एवं ठाकुर श्री नित्य साकेत बिहारिणी बिहारी जी के पाटोत्सव का भी आयोजन हुआ। स्वामी राजेन्द्रदास ने बताया कि संत-संगति और प्रभु कथा ऐसी निधि है, जो स्वयं भगवान के पास भी दुर्लभ है। उन्होंने एक उदाहरण देते हुए समझाया कि जैसे कोई कुशल तैराक भी विशाल समुद्र को तैरकर पार नहीं कर सकता, लेकिन जहाज में बैठकर वही व्यक्ति बिना प्रयास के, यहां तक कि सोते हुए भी सागर पार कर लेता है। ठीक उसी प्रकार प्रभु कथा और संत सान्निध्य, जीवनरूपी सागर को सहजता से पार करने का मार्ग प्रदान करते हैं।
इस अवसर पर उत्तर प्रदेश तीर्थ विकास परिषद के उपाध्यक्ष शैलजाकांत मिश्रा, अयोध्या से रामदास महाराज, गोरेलाल कुंज के किशोर देवदास महाराज, और जगन्नाथ पुरी के शुद्धानंद महाराज ने व्यासपीठ का विधिवत पूजन-अर्चन किया।
यह आयोजन श्रद्धा, भक्ति और दिव्य वातावरण से सराबोर रहा, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।
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