
यूनिक समय, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू करने की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि इस पर कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में अतिक्रमण का आरोप लग रहे हैं। इस मामले को लेकर एडवोकेट विष्णु शंकर जैन ने कोर्ट से कुछ अतिरिक्त दस्तावेज पेश करने की अनुमति मांगी और साथ ही इलाके में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की।
आज, सोमवार को जस्टिस भूषण रामाकृष्ण गवई ने टिप्पणी करते हुए कहा, “आप चाहते हैं कि हम राष्ट्रपति को दखल देने का आदेश दें?” उन्होंने यह टिप्पणी तब की, जब बंगाल के मुर्शिदाबाद में वक्फ संशोधन कानून के विरोध में हुई हिंसा के संदर्भ में याचिका दाखिल की गई थी। कोर्ट से इस हिंसा के मद्देनजर इलाके में पैरामिलिट्री फोर्स की तैनाती की भी मांग की गई थी।
विष्णु शंकर जैन ने अदालत से कहा कि वह अपने नए आवेदन में हालिया घटनाओं का हवाला दे रहे हैं, जिसमें राष्ट्रपति शासन की मांग की गई है। कोर्ट से उन्होंने केंद्र सरकार को शांति बहाल करने के लिए फोर्स तैनात करने का आदेश देने की अपील की।
यह याचिका पहले से ही लंबित थी, और जैन ने इस मामले में नया आवेदन दाखिल किया, जिसमें पिछले घटनाक्रमों का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति शासन की आवश्यकता की बात कही। अब इस मामले पर अगले दिन यानी मंगलवार को सुनवाई की जाएगी।
इस फैसले पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। उन्होंने कहा था कि इस तरह के फैसले से लोकतंत्र और संविधान की धारा में हस्तक्षेप हो रहा है, और यह न केवल संसद बल्कि न्यायपालिका की भूमिका पर भी सवाल खड़ा करता है।
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