
यूनिक समय, मथुरा। अंतर्राष्ट्रीय पृथ्वी दिवस के अवसर पर बृज पर्यावरण संरक्षण परिषद की ओर से श्री दीर्घ विष्णु मंदिर परिसर, मथुरा पुरी में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस आयोजन में वक्ताओं ने बृज क्षेत्र की dwindling प्राकृतिक संपदा पर चिंता जाहिर करते हुए इसके संरक्षण की आवश्यकता पर बल दिया।
अंतर्राष्ट्रीय पृथ्वी दिवस के अवसर पर संगोष्ठी में वक्ताओं ने बताया कि ऐतिहासिक रूप से मथुरा पुरी बृजमंडल तीर्थ क्षेत्र के रूप में विख्यात रहा है, जहां वृन्दावन, काम्यवन, मधुवन, बेलवन, लोहवन, बहुला वन और तालवन जैसे क्षेत्रों में घने कदंब के वृक्ष और छायादार वन पाए जाते थे। गोवर्धन, बरसाना, नंदगांव, काम्यवन आदि पर्वतीय इलाकों में हरियाली से आच्छादित प्राकृतिक वातावरण था।
वक्ताओं ने अफसोस जताया कि वर्तमान में यह नैसर्गिक छवि तेजी से विलुप्त होती जा रही है। अनियंत्रित विकास और अंधाधुंध दोहन के कारण न केवल वन क्षेत्र घटे हैं, बल्कि जल स्रोत भी सूख रहे हैं, जिससे भूजल स्तर में भी लगातार गिरावट आ रही है। यदि यही स्थिति बनी रही, तो आने वाले समय में बृज क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लिए गंभीर जल संकट और पर्यावरणीय असंतुलन उत्पन्न हो सकता है।
इस संगोष्ठी की अध्यक्षता मंदिर के सेवायत और परिषद के अध्यक्ष महंत कान्तानाथ चतुर्वेदी ने की। कार्यक्रम का संचालन महामंत्री रामदास चतुर्वेदी ने किया। संगोष्ठी में समाजसेवी ओमप्रकाश बंसल, आचार्य ब्रजेंद्र नागर, आचार्य मुरलीधर चतुर्वेदी, गंगाधर अरोड़ा, बालकृष्ण चतुर्वेदी, लालकृष्ण चतुर्वेदी और हरस्वरूप यादव सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
वक्ताओं ने सरकार और आमजन से अपील की कि वे प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग और पर्यावरण संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाएं, ताकि भावी पीढ़ियों को एक सुरक्षित और संतुलित पर्यावरण मिल सके।
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