
यूनिक समय, नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर राज्य की विधानसभा में एक विशेष सत्र बुलाया गया, जहां मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बेहद भावुक होकर इस त्रासदी पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि इस तरह का मंजर उन्होंने 21 वर्षों में नहीं देखा और इस हमले ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि यह सत्र उपराज्यपाल की अनुमति से विशेष रूप से इसलिए बुलाया गया, क्योंकि इस दुख को सबसे अधिक जम्मू-कश्मीर की जनता और उसके प्रतिनिधि समझ सकते हैं। उन्होंने कहा, “हम में से कई ऐसे हैं जिन्होंने अपने करीबी लोगों को खोया है—किसी ने पिता को, किसी ने रिश्तेदार को। यह हम सबका व्यक्तिगत दुख है।”
उमर अब्दुल्ला ने कहा कि बतौर मुख्यमंत्री और पर्यटन मंत्री, उन्होंने देशभर के लोगों को कश्मीर आने का न्योता दिया था। “मेरी जिम्मेदारी थी कि मैं उन्हें सुरक्षित वापस भेजूं। मैं नहीं कर पाया। जो हुआ, उसके लिए मेरे पास माफी मांगने के शब्द नहीं हैं,” उन्होंने भावुक स्वर में कहा।
उन्होंने एक नौसेना अधिकारी की विधवा का ज़िक्र करते हुए कहा कि उनकी शादी कुछ ही दिन पहले हुई थी, और अब वह अकेली रह गई हैं। उन्होंने उन बच्चों की पीड़ा को भी साझा किया जिन्होंने अपने पिता को खून में लथपथ देखा।
सीएम ने कहा, “हमले के पीड़ितों में कुछ ऐसे पर्यटक भी थे जो पहली बार कश्मीर आए थे और अब उनकी यह यात्रा उनके जीवन की सबसे बड़ी त्रासदी बन गई। उन्होंने पूछा—’हमारा कसूर क्या था?'”
उमर अब्दुल्ला ने अंत में कहा कि इस तरह की घटनाएं न केवल सुरक्षा पर सवाल खड़ा करती हैं, बल्कि लोगों का मनोबल भी तोड़ देती हैं। उन्होंने इस हमले की निंदा करते हुए इसे पूरे देश पर हमला करार दिया।
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