
यूनिक समय, नई दिल्ली। हर वर्ष 1 मई को महाराष्ट्र दिवस पूरे राज्य में बड़े गर्व और सम्मान के साथ मनाया जाता है। यह दिन न केवल एक प्रशासनिक बदलाव का प्रतीक है, बल्कि मराठी भाषी लोगों के लंबे संघर्ष और बलिदान की याद भी है, जिसने एक अलग राज्य के गठन का रास्ता प्रशस्त किया।
1 मई 1960 को “बॉम्बे पुनर्गठन अधिनियम” लागू हुआ, जिसके तहत तत्कालीन बॉम्बे राज्य को भाषाई आधार पर विभाजित कर दो नए राज्य बनाए गए—महाराष्ट्र और गुजरात। महाराष्ट्र को मराठी भाषी जनता के लिए और गुजरात को गुजराती भाषी समुदाय के लिए अलग राज्य के रूप में स्थापित किया गया। इससे पहले, बॉम्बे राज्य में वर्तमान महाराष्ट्र, गुजरात और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्से शामिल थे, जहां मराठी, गुजराती, कच्छी और कोंकणी जैसी भाषाएं बोली जाती थीं।
राज्य के पुनर्गठन की यह मांग केवल प्रशासनिक नहीं थी, बल्कि यह मराठी भाषी लोगों की सांस्कृतिक पहचान और अधिकारों की रक्षा के लिए चलाए गए “संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन” का परिणाम थी। इस आंदोलन में हजारों लोगों ने हिस्सा लिया और कई ने अपने प्राणों की आहुति दी।
महाराष्ट्र दिवस के अवसर पर राज्य भर में श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। वर्ष 2025 में महाराष्ट्र के 65वें स्थापना दिवस पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मुंबई के हुतात्मा चौक पर आंदोलन के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा, “महाराष्ट्र भारत के सबसे प्रगतिशील राज्यों में से एक है, और हम इसे एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य की ओर ले जा रहे हैं।”
महाराष्ट्र दिवस केवल एक तिथि नहीं, बल्कि एक आंदोलन की सफलता, भाषा और संस्कृति की रक्षा के लिए उठाए गए मजबूत कदमों और उन अनगिनत लोगों के समर्पण का प्रतीक है, जिन्होंने महाराष्ट्र को एक स्वतंत्र और गर्वित राज्य बनाने में योगदान दिया।
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