
यूनिक समय, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने पहलगाम आतंकी हमले की जांच की मांग वाली याचिका को सुनने से इनकार करते हुए याचिकाकर्ताओं को कड़ी फटकार लगाई। याचिका में मांग की गई थी कि इस घटना की जांच सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में विशेष न्यायिक आयोग से करवाई जाए।
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने याचिका पर सुनवाई के दौरान तीखी प्रतिक्रिया दी। जस्टिस सूर्य कांत ने सवाल किया, “जज कब से जांच विशेषज्ञ हो गए? उनका कार्य कानून संबंधी विवादों का निपटारा करना है, न कि आपराधिक मामलों की जांच करना।”
कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को जिम्मेदारी का परिचय देने की सलाह दी और कहा कि ऐसे मामलों में गैरजिम्मेदाराना मांगें सुरक्षाबलों का मनोबल गिरा सकती हैं। कोर्ट ने यह भी कहा, “पूरा देश एकजुट है, ऐसे में इस तरह की याचिकाएं अनुचित हैं।”
जब याचिकाकर्ताओं ने अपनी मूल मांग पर जोर न देने की बात कही और अन्य मुद्दों पर सुनवाई की अपील की, तो कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, “पहले प्रचार करते हैं और फिर कोर्ट में कहते हैं कि अब उस पर जोर नहीं देंगे?”
याचिका में पीड़ितों को मुआवजा, पर्यटकों की सुरक्षा और जम्मू-कश्मीर के बाहर पढ़ाई कर रहे छात्रों की सुरक्षा जैसे विषयों को उठाया गया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि इन मामलों में उसकी सीधी भूमिका नहीं बनती और यह मुद्दे संबंधित संस्थाओं या हाई कोर्ट के समक्ष उठाए जा सकते हैं।
यह याचिका फतेश साहू, जुनैद मोहम्मद और विकी कुमार नामक याचिकाकर्ताओं द्वारा दाखिल की गई थी, जिसमें केंद्र सरकार, जम्मू-कश्मीर प्रशासन, CRPF, NSA और NIA को पक्षकार बनाया गया था।
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