
यूनिक समय, नई दिल्ली। राजस्थान कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने विधानसभा की एस्टीमेट (प्राक्कलन) कमेटी के सदस्य पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि वे पक्षपातपूर्ण और मनमानी निर्णय ले रहे हैं, जो लोकतंत्र की मूल भावना के खिलाफ है।
गोविंद सिंह डोटासरा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर अपने इस्तीफे की घोषणा करते हुए लिखा कि मौजूदा परिस्थितियों में चुप रहकर इस समिति का हिस्सा बने रहना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों की निष्पक्षता सर्वोपरि होती है, लेकिन जब फैसले पक्षपातपूर्ण प्रतीत हों, तो चुप रहना जनादेश का अपमान होता है।
उन्होंने अपने पोस्ट में विधानसभा अध्यक्ष पर सीधे आरोप लगाते हुए लिखा कि हाल के निर्णय संविधान की मूल भावना के खिलाफ हैं और पक्षपातपूर्ण सोच को दर्शाते हैं। डोटासरा ने विशेषाधिकार समिति के अध्यक्ष पद से कांग्रेस विधायक नरेंद्र बुड़ानिया को हटाने के निर्णय पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सामान्यत: समिति अध्यक्षों का कार्यकाल कम से कम एक वर्ष का होता है, लेकिन बुड़ानिया को मात्र 15 दिन में ही हटा दिया गया।
इसके अलावा, उन्होंने भाजपा विधायक कंवरलाल मीणा के मामले का जिक्र करते हुए कहा कि तीन साल की सजा बरकरार रहने के बावजूद विधानसभा अध्यक्ष ने उनकी सदस्यता रद्द नहीं की, जबकि दो साल से अधिक की सजा होने पर जनप्रतिनिधियों को स्वतः अयोग्य ठहराया जाना चाहिए।
गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि यह कोई पहला मामला नहीं है, ऐसे कई निर्णय हैं जो अध्यक्ष की निष्पक्षता पर प्रश्नचिह्न लगाते हैं। उन्होंने अपील की कि विधानसभा अध्यक्ष संविधान की शपथ को सर्वोच्च मानते हुए निष्पक्ष और न्यायपूर्ण निर्णय लें ताकि लोकतंत्र और संविधान पर लोगों का विश्वास बना रहे।
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