
यूनिक समय, नई दिल्ली। दक्षिण-पश्चिम मानसून इस साल 24 मई को केरल में प्रवेश कर चुका है, जो इसकी सामान्य तिथि 1 जून से करीब 8 दिन पहले है। यह पिछले 16 वर्षों में केरल में मानसून का सबसे जल्दी आगमन माना जा रहा है। मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, राज्य में मानसून के लिए सभी अनुकूल परिस्थितियां बन चुकी थीं, जिसके कारण पिछले दो दिनों में केरल के कई इलाकों में भारी बारिश हुई है। यह बारिश कम दबाव वाले क्षेत्र और मानसून सिस्टम की सक्रियता के कारण हो रही है।
इतिहास में सबसे जल्दी मानसून 1918 में 11 मई को केरल पहुंचा था, जबकि सबसे देरी से मानसून 1972 में 18 जून को आया था। पिछले 25 वर्षों में सबसे देरी 2016 में 9 जून को हुई थी। इस साल मानसून के जल्दी पहुंचने की स्थिति 2001 और 2009 के समान है।
IMD ने दक्षिणी राज्यों के लिए भारी वर्षा की चेतावनी जारी की है। केरल और तटीय कर्नाटक में 29 मई तक तेज बारिश के साथ तेज हवाओं की संभावना है। इसके अलावा तमिलनाडु, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में भी अगले कुछ दिनों में बौछारें और गरज के साथ बारिश हो सकती है।
पूर्व-मध्य अरब सागर के दक्षिणी कोंकण तट के पास बना कम दबाव वाला क्षेत्र रत्नागिरी के पास है, जो आगे बढ़ते हुए तट को पार करेगा।
सामान्यतः मानसून 1 जून तक केरल में दस्तक देता है और जुलाई के मध्य तक पूरे भारत में फैल जाता है। यह सितंबर के मध्य से वापस हटने लगता है और अक्टूबर तक पूरी तरह समाप्त हो जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इसके जल्दी या देरी से आने का देश भर में कुल बारिश पर कोई निश्चित प्रभाव नहीं पड़ता।
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