दस साल से कम उम्र के 17 स्कूली बच्चों से ठूंसी गई वैन उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में एक बिना फाटक वाली क्रॉसिंग पर ट्रेन द्वारा कुचल दी गई। इस हादसे में 13 बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई। ठीक इसी दिन उत्तर पश्चिम दिल्ली में कन्हैया नगर मेट्रो स्टेशन के पास सुबह दूध के एक टैंकर ने एक स्कूल वैन को टक्कर मारी। वैन में 18 बच्चे भरे थे, जिनमें से एक सात वर्षीय बच्ची की मौत हो गई और 17 छात्र घायल हो गए।ऐसे हादसे पहली बार नहीं हुए हैं, जब लापरवाही की कीमत बच्चों की जान देकर चुकानी पड़ी है। दो साल पहले भी भदोही जिले में मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग पर ठीक ऐसा ही हादसा हुआ था, जहां भी 13 बच्चों की मौत हो गई थी।अगर आपका बच्चा भी वैन में स्कूल जाता है तो जरूरी है कि माता-पिता कुछ बातों का जरूर ध्यान दें ताकि आपका बच्चा सुरक्षित रहे। स्कूल में चलने वाली वैन के लिए सुप्रीम कोर्ट ने कुछ नियम बनाएं हैं क्या आपके बच्चों को स्कूल ले जाने वाली वैन इन नियमों का पालन करती है।
- वाहन पर पीला रंग हो जिसके बीच में नीले रंग की पट्टी पर स्कूल का नाम होना चाहिए।
- बसों में स्कूल का नाम व टेलीफोन नंबर लिखा होना चाहिए।
- वाहन चालक को न्यूनतम पांच वर्ष का वाहन चलाने का अनुभव होना चाहिए। बसों में जीपीएस
- बसों का उपयोग स्कूली गतिविधियों व परिवहन के लिए ही किया जाएगा।
- डिवाइस लगी होनी चाहिए ताकि ड्राइवर को कोहरे व धुंध में भी रास्ते का पता चल सके।
- बस में अग्निशमन यंत्र रखा हो।
- सीट के नीचे बस्ते रखने की व्यवस्था।
- बस के दरवाजे तालेयुक्त होने चाहिए।
- बस में कंडक्टर का होना भी अनिवार्य।
- बस में प्राथमिक उपचार के लिए फस्ट ऐड बॉक्स उपलब्ध हो।
- बसों की खिड़कियों में आड़ी पट्टियां (ग्रिल) लगी हो।
- बस के अंदर सीसीटीवी भी इंस्टॉल होना चाहिए ताकि बस के अंदर की दुर्घटना के बारे में पता लगाया जा सके।
- स्कूली बस में ड्राइवर व कंडक्टर के साथ उनका नाम व मोबाइल नंबर लिखा हो।
- स्कूली वाहन के रूप में चलने वाले पेट्रोल ऑटो में पांच, डीजल ऑटो में आठ, वैन में 10 से 12, मिनी बस में 28 से 32 और बड़ी बस में ड्राइवर सहित 45 विद्यार्थियों को ही सवार कर सकते हैं।
- चालक का कोई चालान नहीं होना चाहिए और न ही उसके खिलाफ कोई मामला हो।
- किसी भी ड्राइवर को रखने से पहले उसका वेरिफिकेशन कराना जरूरी है। बस चालक के अलावा एक और बस चालक साथ में होना जरूरी।
- बसों में बैग रखने के लिए सीट के नीचे व्यवस्था होनी चाहिए।
- बसों में टीचर हो, जो बच्चों पर नजर रखे।
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