स्कूल फीस के नाम पर अब निजी विद्यालय अपनी मनमानी नहीं कर सकेंगे। इस पर अंकुश लगाने के लिए योगी सरकार अध्यादेश का इसी शैक्षिक सत्र से क्रियान्वयन सुनिश्चत करने जा रही है, जिससे अभिभावकों को बड़ी आर्थिक राहत मिलने वाली है।
अध्यादेश के क्रियान्वयन को लेकर पांच मई को जिलाधिकारी कलक्ट्रेट सभागार में सीबीएसई और आइसीएससी बोर्ड के विद्यालयों के प्रधानाचार्य व प्रबंधकों की बैठक लेंगे। बैठक में फीस से जुड़े प्रावधानों और उनकी अवहेलना करने पर सरकार की ओर से की जाने वाली कार्रवाई से अवगत कराया जाएगा। अल्पसंख्यक विद्यालयों को भी अध्यादेश के दायरे में रखा गया है। उत्तर प्रदेश स्व वित्त पोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क निर्धारण) अध्यादेश 2018 के नाम से 9 अप्रैल से लागू कर दिया गया है, जिसका क्रियान्वयन मंडलायुक्त की अध्यक्षता में बनी सात सदस्यीय मंडलीय कमेटी द्वारा अध्यादेश को अमली जामा पहनाया जाएगा।
कमेटी में संयुक्त शिक्षा निदेशक को पदेन सदस्य रखा गया है, इसके अलावा अन्य सदस्यों में पीडब्ल्यूडी के अभियंता, सीए, वित्त एवं लेखा सेवा से वरिष्ठ अधिकारी, पीटीए का एक सदस्य और किसी वित्त पोषित विद्यालय का प्रधानाचार्य या प्रशासक होंगे। फीस निर्धारण को लेकर कमेटी द्वारा फार्मूला तैयार किया जा रहा है। इसके लिए निजी विद्यालयों के तीन साल यानि 2015 से 2018 तक के तीन सत्रों के फीस स्ट्रक्चर और शिक्षकों के वेतन का विवरण मांगा जाएगा।
अध्यादेश में सुनिश्चत की गया है कि विद्यालय द्वारा एडमीशन फीस एक बार ही ली जाएगी। पांच मई को जिलाधिकारी की अध्यक्षता में होने वाली बैठक की सूचना जिला विद्यालय निरीक्षक द्वारा निजी विद्यालयों को दे दी गई है। जिले में सीबीएसई और आइसीएसी के करीब सौ विद्यालय हैं।
Leave a Reply