मथुरा। नगर पालिका ने अपने अंतिम समय में जिन बैकलॉग कर्मचारियों को सख्ती के साथ सफाई के काम में लगा दिया था, नगर निगम के अधिकारियों ने अपने आराम की खातिर उन्हें फिर से अपना सेवक बना लिया है। निगम के 50 से ज्यादा बैकलॉग कर्मी स्टाफ के घरों पर ड्यूटी दे रहे हैं। करीब दर्जन भर ने अपनी जगह दूसरे सफाई कर्मचारी लगा रखे हैं। सफाई व्यवस्था का पूरा बोझ संविदा और स्थाई कर्मियों पर बना हुआ है। महापौर ने नगर स्वास्थ्य अधिकारी से सभी बैकलॉग कर्मियों की सूची उनकी वर्तमान लोकेशन के साथ मांग ली है।
बसपा शासन में पूर्व नगर पालिका ने सन 2008 के आसपास 136 बैकलॉग सफाई कर्मचारियों की नियुक्ति की थी, जिनमें कुछ कर्मचारियों को प्रमोट कर दिया गया। 119 बैकलॉग कर्मी रह गए। इनमें ज्यादातर वर्षो तक सफाई की जगह नगर पालिका के विभिन्न पटलों, पूर्व सभासदों और प्रशासनिक अधिकारियों के यहां सेवा देते रहे। बैकलॉग कर्मियों से सफाई कार्य कराने की मांग को लेकर कई बार वाल्मीकि सफाई कर्मचारी संगठनों ने आंदोलन भी किए।
पूर्व नगर पालिका में तत्कालीन चेयरमैन मनीषा गुप्ता के कार्यकाल में दो साल पहले स्थाई सफाई कर्मियों ने हड़ताल कर दी तब बैकलॉग कर्मचारियों को सफाई कार्य में लगाया। अब फिर मथुरा-वृंदावन नगर निगम के अधिकारी और इंजीनियर जनहित को ताक पर रखकर बैकलॉग कर्मियों से निज सेवा करा रहे हैं।
नगर निगम में डॉ. मुकेश आर्यबंधु के महापौर चुने जाने के बाद वाल्मीकि सफाई कर्मियों ने न्याय मिलने की उम्मीद की थी। अब चार माह बाद मेयर ने उनकी मांग का संज्ञान लिया है और नगर स्वास्थ्य अधिकारी से बैकलॉग कर्मियों की सूची मांग ली है।
नगर स्वास्थ्य अधिकारी को कहा गया है कि वह समस्त बैकलॉग कर्मियों का वर्तमान तैनाती स्थल समेत सूची दें। सभी बैकलॉगकर्मियों से सफाई कार्य ही लेने का आदेश दिया गया है।
डॉ. मुकेश आर्यबंधु
महापौर, मथुरा-वृंदावन नगर निगम
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