कहा जाता है कि एक ‘मां’ होना दुनिया का सबसे कठिन काम है, ऐसा इसीलिए है क्योंकि आपके घर में या आसपास अगर कोई छोटा बच्चा है तो गौर करिएगा कि उसकी मां दिन भर में कितनी देर आराम करती हैं, या फिर अपने लिए कितना समय निकाल पाती हैं . बच्चे के डायपर बदलने से लेकर घर के तमाम लोगों की देखरेख करना, सबका ख्याल रखना, घर का ख्याल रखना, वो इन सभी कामों में दिन भर लगी रहती हैं, वो अपना सारा वक्त घर और बच्चे की देखरेख में ही निकाल देती हैं, और उनके पास अपने लिए कभी वक़्त नहीं बचता. दूसरे शब्दों में कहें तो मां होना किसी Full Time Job से कम नहीं है .
एक नये सर्वे के मुताबिक एक मां किसी नौकरी करने वाले व्यक्ति की तुलना में ढाई गुना ज्यादा काम करती हैं .Research के मुताबिक एक मां अपने बच्चे की देखभाल के लिए एक सप्ताह में 98 घंटे काम करती है .इसे अगर दिन के हिसाब से तोड़ा जाए तो ये काम, 7 दिन में 14 घंटे की शिफ्ट के बराबर का काम है. ऑफिस में इतना काम बहुत कम लोग कर पाते हैं. इस सर्वे में 5 से 12 साल की उम्र के बच्चों की माओं को शामिल किया गया और इसके नतीजे बहुत हैरान करने वाले थे. ये माएं औसतन सुबह 6 बजकर 23 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 31 मिनट तक, बच्चों के लिए काम करती रहीं .
और एक दिन में औसतन सिर्फ 1 घंटा 7 मिनट का समय ही अपने लिए निकाल पाईं . Study में ये भी पता चला कि 40 प्रतिशत मांएं अपनी जिंदगी कभी न खत्म होने वाले काम के दबाव में गुजारती हैं. अब सोचिए कि जो महिला दिन में 14 घंटे अपने बच्चे और परिवार को दे रही हैं, उसे Salary भी अच्छी खासी मिलनी चाहिए . लेकिन UN की रिपोर्ट कुछ और कह रही है.. क्योंकि United Nations के मुताबिक विकसित देशों में जहां पुरुष औसतन 8 घंटा काम करते हैं, वहीं महिलाएं 9 घंटे से ज्यादा काम करती हैं. पुरुषों द्वारा किए जाने वाले 8 घंटों के काम में से साढ़े 6 घंटों के लिए उन्हें पैसे मिलते है .
जबकि महिलाओं को कम से कम 5 घंटे के लिए मुफ़्त में काम करना पड़ता है. इसके लिए उन्हें कुछ नहीं मिलता, क्योंकि उनका काम घर और परिवार की देखभाल से जुड़ा होता है . अगर विकासशील देशों की बात करें तो, यहां भी हर रोज़ करीब 8 घंटे के काम में से महिलाओं को 5 घंटे के काम के कोई पैसे नहीं मिलते. महिलाओं से अक्सर गुस्से में ये कह दिया जाता है कि तुम घर पर ही तो रहती हो, तुम करती ही क्या हो…. ऐसा कहने वाले लोगों को ये डायलॉग मारने से पहले हज़ार बार सोचना चाहिए
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