बिजनौर। शायद आपने दो साल पहले कैराना में पलायन का मुद्दा सुना होगा।आज पलायन की एक तस्वीर बिजनौर से आई है। गांवों ने बताया कि विवाद लाउस्पीकर का था। इस मामले में पुलिस कह रही है कि ऐसा कोई विवाद ही नहीं हुआ है, पुलिस के दावों में की हकीकत कुछ और ही है।गांव में पहुंचकर अपने देखा कि कोई अपने सामने को ट्राली में रख रहा है तो कोई गांव छोड़कर ही जा रहा है। योगी सरकार के राज्य में बिजनौर में हिंदू आबादी के लोग पलायन को मजबूर हैं।
गांव छोड़कर जाने वाले लोगों का आरोप है कि पुलिस ने उनपर एकतरफा कार्रवाई की है, जिस वजह से अब गांव छोड़ देने के अलावा और कोई चारा नहीं है।
बताया जा रहा है कि मामला छह दिन पहले गारबपुर गांव का है। गांव छोड़कर जा रहे लोगों ने बताया कि दूसरे समुदाय के धर्मस्थल पर लाउडस्पीकर गा है जो लगातार बज रह है, लेकिन पुलिस ने एकतरफा कार्रवाई करते हुए उनके धर्मस्थल से लाउडस्पीकर हटा दिया। पुलिस को एक लाउडस्पीकर से शांति भंग होने की आशंका है, दूसरे से नहीं।
लोगों ने आरोप लगाया है कि मजहब के आधार पर भेदभाव हो रहा है और वो भी उस सरसकार में जो हिंदुओं के नाम पर वोट मांगती है। इन आरोपों से पुलिस हाथ पांव फूल गए हैं, वो सफाई दे रही है कि कोई पलायन हो ही नहीं रहा।
सवाल इस बात का है कि अगर पलायन हो ही नहीं रहा तो ट्रैक्टर पर पूरी गृहस्थी का सामान लादकर लोग कहां जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में पश्चिमी उत्तर प्रदेश से हिंदुओं के पलायन की बड़ी खबरें आई थीं। तब समाजवादी पार्टी की सरकार थी। खबरें अब भी आ रही हैं, लेकिन अब प्रदेश में बीजेपी की सरकार है।
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