नई दिल्ली। गुरुवार को भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा ने तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उन्होंने जल्द बहुमत साबित करने का दावा किया है। हालांकि बहुमत का आंकड़ा जुटाना उनके लिए बड़ी चुनौती होगी।
कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला ने बहुमत वाले कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित नहीं किया, जिसे लेकर कांग्रेस शुक्रवार को देशभर में ‘लोकतंत्र बचाओ दिवस’ मनाएगी। कांग्रेस ने राज्यपाल के फैसले को लोकतंत्र की हत्या बताया है।
वहीं बीजेपी के शीर्ष नेता इस बात को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त हैं कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा विधानसभा में विश्वास मत हासिल कर लेंगे। बीजेपी फ्लोर टेस्ट के लिए मोर्चाबंदी तो कर ही रही है, दूसरी तरफ कांग्रेस के लिंगायत विधायकों को अपने तरफ करने की भी कोशिश में जुटी है।
राजनीतिक संकेतों पर नजर डालें तो स्पष्ट है कि गुरुवार को येदियुरप्पा लिंगायत मठ पहुंचे और वहां उन्होंने संत शिवकुमार स्वामी का आशीर्वाद लिया। हालांकि, अभी पार्टी के पास बहुमत से सात विधायक कम हैं। बीजेपी की अल्पमत वाली सरकार को अगर सत्ता में बना रहना है, तो उसे विधानसभा में मौजूद सदस्यों का बहुमत हासिल करना होगा।
इसके अलावा बीजेपी के कानूनी सलाहकार ऐंटी-डिफेक्शन लॉ (दल-बदल कानून) की स्टडी कर रहे हैं। वे इस बात का तोड़ निकालने की कोशिश कर रहे हैं कि किस तरह से विपक्षी पार्टी के विधायक बिना अयोग्य घोषित हुए सरकार बनाने में मदद कर सकते हैं।
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