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नई दिल्लींं। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल पर हमला बोलने के लिए वरिष्ठ कांग्रेस नेता व पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने आज एक साथ प्रेस कान्फ्रेंस किया। पूर्व सीएम शीला दीक्षित ने कहा कि अरविंद केजरीवाल व उनके लोगों के धरने की जो तस्वीरें मीडिया में आ रही हैं, उसे देख कर शर्म आती है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अपने मंत्रियों के साथ उप राज्यपाल के घर धरने पर बैठे हैं, लेकिन संविधान तो न मुख्यमंत्री और न ही उप राज्यपाल बदल सकते हैं। शीला दीक्षित ने कहा कि यह काम संसद ही कर सकती है और इसके लिए अरविंद केजरीवाल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जाकर मुलाकात करनी चाहिए।
शीला दीक्षित ने कहा, ‘दिल्ली एक केंद्रशासित प्रदेश है और यह यूपी या हरियाणा जैसा नहीं है। केजरीवाल जी पहले जाकर पढ़ें और समझें। जब हमारा पहला टर्न था तब केंद्र में बीजेपी की सरकार थी। हमने राजनीतिक मतभेदों को भुलाकर आपसी तालमेल के साथ बेहतर तरीके से कार्यकाल पूरा किया था।’ उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली में इस वक्त प्रदूषण के कारण हालात बहुत खराब हैं। ऐसे वक्त में मुख्यमंत्री का अपने मंत्रियों के साथ धरने पर बैठना बचकानी हरकत है। शीला दीक्षित ने कहा, ‘जब हमारी सरकार थी तब हमने भी अधिकारियों के साथ बेहतर तालमेल के साथ काम किया। 1999 में जब हमारी सरकार बनी तो मैंने पूर्व में नियुक्त चीफ सेक्रेटरी और विभिन्न विभागों के सरकारी अधिकारियों को हटाने की सिफारिश नहीं की और हमने अपने काम के साथ परिणाम दिया। केजरीवाल जी पहले यह तो स्पष्ट करें कि उनकी लड़ाई आखिर किसके साथ है?’ अजय माकन ने चीफ सेक्रेटरी के साथ दिल्ली सरकार के विवाद पर कहा, ‘दिल्ली के मुख्यमंत्री आईएएस अधिकारियों से सहयोगी की उम्मीद कैसे कर सकते हैं? वह चीफ सेक्रेटरी को अपने घर आमंत्रित करते हैं और फिर उनके साथ भी मारपीट करते हैं।’ हालांकि, दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार को हटाकर राष्ट्रपति शासन लगाने के पक्ष में नहीं है
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