नई दिल्ली। 18वें एशियाई खेलों में भारतीय एथलेटिक खिलाड़ियों ने उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया है। सोमवार को एशियन गेम्स के नौवें दिन भारत के धरुण अय्यासामी 400 मीटर बाधा दौड़ में दिन का पहला सिल्वर मेडल दिया। धरुण ने यह पदक अपनी मां को समर्पित किया है और इसकी मदद से वो अपने घर के हालात भी सुधारना चाहते हैं।
धरुण को उम्मीद है कि रजत पदक उन्हें नौकरी दिलाने के लिए काफी होगी ताकि वह घर चलाने में अपनी मां की मदद कर सकें। धारूण केवल आठ साल के थे जब उनके पिता की मौत हो गयी और तब से उनकी मां ने अकेले उन्हें पाल पोसकर बड़ा किया। तमिलनाडु के तिरूपुर के 21 वर्षीय खिलाड़ी ने कहा, ‘मैं आठ साल का था जब मेरे पिता गुजर गए। मेरी मां ने मेरे लिए काफी बलिदान दिए हैं। मेरे जीत की वजह वह ही हैं। वह शिक्षक के रूप में काम करती हैं और उन्हें केवल 14,000 रुपये का मासिक वेतन मिलता है।’
धरुण अब अपनी मां की मदद करना चाहते हैं और उन्हें अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के बाद अब नौकरी मिलने की उम्मीद है। तमिलनाडु के खिलाड़ी ने 48.96 सेकेंड का समय लेकर खुद का राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ा और वह कतर के अब्दररहमान सांबा के बाद दूसरे स्थान पर रहे। धरूण 300 मीटर की दूरी तक चौथे स्थान पर था लेकिन आखिरी 100 मीटर में उन्होंने दो धावकों को पीछे छोड़कर रजत पदक हासिल किया। गौरतलब है कि नौवें दिन भारत को एथलेटिक्स में चार पदक मिले। जैवलिन थ्रो में नीरज चोपड़ा ने गोल्ड जिताया, तो 400म मीटर बाधा दौड़ में धरुण ने रडत जीता। वहीं स्टीपलचेज में सुधा और लंबी कूद में नीना ने सिल्वर मेडल जीते।
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