अयोध्या विवाद पर मोदी सरकार का बड़ा दांव

नई दिल्ली। आम चुनाव से पहले केंद्र की मोदी सरकार ने अयोध्या विवाद को लेकर बड़ दांव चला है। केन्द्र सरकार ने अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है। सरकार ने कहा है कि 67 एकड़ अधिग्रहीत जमीन पर सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बरकरार रखने का जो आदेश दिया है, उसे बदला जाए। सरकार का तर्क है कि जमीन का विवाद सिर्फ 2.77 एक़ड़ का है बाकी जमीन पर कोई विवाद नहीं है, इसलिए उस पर यथास्थित बरकरार रखने की जरूरत नहीं है। सरकार ने अपनी अर्जी में 67 एकड़ जमीन में से कुछ हिस्सा सौंपने की अर्जी दी है। दरअसल सरकार चाहती है जमीन का कुछ हिस्सा राम जन्भूमि न्यास को दिया जाए और सुप्रीम कोर्ट इसकी इज़ाजत दे। सरकार के इस कदम का वीएचपी और हिंदूवादी संगठनों ने स्वागत किया है। आपको बता दें के 1993 में केंद्र सरकार ने अयोध्या अधिग्रहण ऐक्ट के तहत विवादित स्थल और आसपास की जमीन का अधिग्रहण कर लिया था और पहले से जमीन विवाद को लेकर दाखिल तमाम याचिकाओं को खत्म कर दिया था। सरकार के इस ऐक्ट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। तब सुप्रीम कोर्ट ने इस्माइल फारुखी जजमेंट में 1994 में तमाम दावेदारी वाले सूट (अर्जी) को बहाल कर दिया था और जमीन केंद्र सरकार के पास ही रखने को कहा था और निर्देश दिया था कि जिसके फेवर में अदालत का फैसला आता है, जमीन उसे दी जाएगी।  रामलला विराजमान की ओर से ऐडवोकेट ऑन रेकॉर्ड विष्णु जैन बताया था कि दोबारा कानून लाने पर कोई रोक नहीं है लेकिन उसे सुप्रीम कोर्ट में फिर से चुनौती दी जा सकती है।इस विवाद में मुस्लिम पक्ष के वकील जफरयाब जिलानी का कहना था कि जब अयोध्या अधिग्रहण ऐक्ट 1993 में लाया गया तब उस ऐक्ट को चुनौती दी गई थी।  सुप्रीम कोर्ट ने तब यह व्यवस्था दी थी कि ऐक्ट लाकर सूट को खत्म करना गैर संवैधानिक है। पहले अदालत सूट पर फैसला ले और जमीन को केंद्र तब तक कस्टोडियन की तरह अपने पास रखे। कोर्ट का फैसला जिसके भी पक्ष में आए, सरकार उसे जमीन सुपुर्द करे।

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*