पाकिस्तान के इस हिस्से में जाने से भी डरती है वहां की सेना और पुलिस
नई दिल्ली। पुलवामा हमले का सबूत पाकिस्तान मीडिया से लेकर वहां के प्रधानमंत्री भारत से मांगते हैं। लेकिन वह दुनिया की आंखों में यह धूल नहीं झोंक सकते कि वहां बंदूकों और बमों की खेती होती है। वहां मिसाइलों और रॉकेट लॉन्चर्स की फसल उगती है। वहां खौफ की फैक्ट्री में मौत का सामान पैदा किया जाता है। पूरी दुनिया में आतंकवाद के लिए बदनाम हो चुके पाकिस्तान में एक ऐसा जीता जागता आतंकिस्तान है, जहां जाने से पाकिस्तान की सेना और पुलिस भी डरती है।
पाकिस्तान भले ही लाख चीख-चीखकर यह कहे कि उसके देश में आतंकवादी नहीं है और वह आतंकवाद को बढ़ाना नहीं देता। लेकिन यह भी सच है कि पाकिस्तान में दहशत फैलाने का हर औजार मिलता है। यहां पर हथियार बनाने वाले एक्सपर्ट नहीं पर इनकी कारीगरी से पूरा पाकिस्तान डरता है। पाकिस्तान में मौत की एक ऐसी नाजायज मंडी सजती है, जहां मोबाइल से भी सस्ती पिस्टल मिलती हैं।
यहां 8000 रुपये में मिलती है एके-47 और 2500 में माउजर पिस्टल !
यहां आपको बिना किसी लाइसेंस और बिना परमिशन के मनचाहे हथियार मिल जाएंगे। ऐसे खतरनाक असलहे जिन्हें देखकर आप हैरान रह जाएंगे दंग रह जाएंगे। अब तक आपने देसी तमंचे और कट्टों की अवैध फैक्ट्रियां देखी होंगी, लेकिन दुनिया के सबसे खतरनाक असलहों का अवैध बाजार पाकिस्तान में है, जहां मौत के सामान का खुलेआम कारोबार होता है। सस्ती बंदूकें, बम, एके सैंत्तालीस, एक छप्पन, एंटी एयरक्राप्ट गन और रॉकेट लॉन्चर सभी पाकिस्तान की इस मंडी में दहशतगर्दी के सारे साजो सामान कौड़ियों के भाव मिलते हैं।
पाकिस्तान में कहां है मौत की ये खतरनाक मंडी
अफगानिस्तान सीमा से सटा पाकिस्तान का खैबर पख्तूनख्वा प्रांत, जिसकी राजधानी पेशावर है। पेशावर से दक्षिण करीब 35 किमी की दूरी पर बसा है दर्रा आदमखेल शहर। पख्तूनों का इलाका होने की वजह से इस इलाके में पुलिस भी जाने से घबराती है। लेकिन कुछ साल पहले एक अमेरिकी पत्रकार ने इस इलाके का दौरा किया। इस पत्रकार का नाम सुरूश अल्वी था। अमेरिका और कनाडा की मशहूर वाइस मैगजीन और वीबीएस टीवी के फाउंडर सुरूश अल्वी नईम अफरीदी जोकि पाकिस्तान का प्रोटोकॉल ऑफिसर यानी एक पॉलिटिकल एजेंट है, जो अमेरिकी पत्रकार को दर्रा आदम खेल शहर तक साथ लेकर गया। अफरीदी नाम का ये गाइड अमेरिकी पत्रकार को खैबर पास होते हुए हथियारों के अवैध ठिकाने तक ले गया। हैरानी की बात ये कि खरीददार को दर्रा आदम तक ले जाने के लिए पाकिस्तानी सेना के जवान भी साथ थे। ये गाइड इस पत्रकार को लेकर खैबर राइफल्स की निचली पोस्ट होते हुए उस पहाड़ी इलाके में ले गया जहां बसा है दर्रा आदमखेल। यहां आने वाले खरीददारों को न सिर्फ हथियार देखने और खरीदने की छूट है बल्कि वो जिस हथियार का भी चाहे ट्रायल कर सकते हैं।
सुरूश अल्वी ने हथियारों की इस अवैध मंडी में घूम-घूमकर तमाम तरह के असलहों का जायजा लिया। उसके बाद ये पाकिस्तानी एजेंट अमेरिकी पत्रकार को दर्रा आदम खेल के सबसे बड़ी आर्म्स शॉप में ले गया। जहां पर इटालियन राइफल कीमत 10 हजार रुपए, रूस की कालाकोव राइफल की कीमत 12 हजार रुपए और ये अमेरिका की मजेलाइट राइफल की कीमत 17 हजार रुपए बताई गई।
मौत की इस मंडी में कैसे बनते हैं ऐसे खतरनाक हथियार…
– शिपयार्ड से लाए गए स्क्रैप मेटल से बनते हैं हथियार
– छोटे छोटे हैंड टूल्स और ड्रिलिंग मशीनों का इस्तेमाल
– दर्रा आदम की 75 फीसदी आबादी इस धंधे में शामिल है
– करीब 2500 लोग हथियार बनाने का काम करते हैं
– रोजाना 1000 से भी ज्यादा हथियार बनाए जाते हैं
दर्रा आदमखेल में बने इन अवैध हथियारों का कारोबार पाकिस्तान से लेकर अफगानिस्तान और ईरान तक होता है। पाकिस्तान में खुलेआम ऐसे हथियारों के डेमो दिए जाते हैं। हालांकि पिछले कुछ सालों में पाकिस्तानी सेना और सरकार की कड़ाई के चलते हथियारों की इस अवैध मंडी पर काफी असर पड़ा है और यहां की आधी दुकानें बंद हो गई हैं, जिससे हथियार बनाने वाले लोगों में मायूसी है।
दर्रा आदमखेल में अवैध हथियारों की अवैध फैक्ट्री की नींव 1857 में ब्रिटिश आर्मी के खिलाफ लड़ाई के दौरान पड़ी। उसके बाद अस्सी के दशक में रूस और बाद में अमेरिकी सेना के खिलाफ जंग के दौरान ये अवैध बाजार पुलिस और सेना के कंट्रोल से भी बाहर चला गया। दुनिया भर में पाकिस्तान की फजीहत के बाद हुई कार्रवाई से मौत की इस मंडी का धंधा मंदा जरूर हुआ है, पर पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। आज भी यहां अवैध हथियारों की दर्जनों दुकाने हैं, जिनमें सैकड़ों की संख्या में घातक हथियार खरीदे और बेचे जाते हैं।
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