श्रीनगर। पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर हुए आतंकी हमले के बाद अब भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर के अलगाववादियों पर नकेल कसना शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में राष्ट्र विरोधी और विध्वंसकारी गतिविधियों शामिल होने के आरोप में पहले तो जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर पर बैन लगाया गया और अब उनके खिलाफ छापेमारी की कार्रवाई तेज कर दी गई है। जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर के नेताओं के कई घरों, दफ्तरों और संपत्तियों को सील कर दिया है। जमात ए इस्लामी के 350 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है।
राज्यपाल सत्यपाल मलिक को केन्द्र सरकार ने इस संगठन के फंड और संपत्तियों को सीज करने के आदेश दिए हैं। श्रीनगर, दक्षिण और उत्तर कश्मीर में बड़ी कार्रवाई करते हुए सरकार ने इस संगठन की कई संपत्तियों को जब्त कर लिया है। जानकारी के मुताबिक अनलॉफुल ऐक्टिविटी प्रिवेन्शन एक्ट यानी UAPA के तहत अकेले श्रीनगर में संगठन के 70 बैंक अकाउंट्स को सील कर दिया गया है। साथ ही 52 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति सील की गई है। इसमें जमात-ए-इस्लामी की कई शैक्षणिक संस्थाएं, दफ्तर, स्कूल भी शामिल है।इससे पहले भी दो बार जमात-ए-इस्लामी संगठन की गतिविधियों के कारण इसे प्रतिबंधित किया जा चुका है। पहली बार जम्मू कश्मीर सरकार ने इस संगठन को 1975 में दो साल के लिए प्रतिबंधित किया था। जबकि दूसरी बार केंद्र सरकार ने 1990 में इसे प्रतिबंधित किया था जो दिसंबर 1993 तक जारी रहा था।
गृह मंत्रालय के सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक जमात-ए-इस्लामी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकियों को कश्मीर घाटी में बड़े स्तर पर फंडिंग करता था। ऐसी तमाम जानकारियों के बाद गृह मंत्रालय ने कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी की बैठक के बाद कड़ा कदम उठाते हुए जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध लगा दिया है। दरअसल जमात-ए-इस्लामी जम्मू कश्मीर का मिलिटेंट विंग है। यह जम्मू कश्मीर में अलगाववादी विचारधारा और आतंकवादी मानसिकता के प्रसार के लिए प्रमुख जिम्मेदार संगठन है। आतंककी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन को जमात-ए-इस्लामी जम्मू कश्मीर ने ही खड़ा किया है। हिज्बुल मुजाहिदीन को इस संगठन ने हर तरह की सहायता की।
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