नई दिल्ली। अब चलती ट्रेन में तबीयत खराब होने पर डॉक्टर को बुलाने के लिए आपको 100 रुपये देने होंगे। रेलवे बोर्ड ने इस व्यवस्था को पूरे भारतीय रेलवे में शुरू किया है। इसमें स्टेशन पर मिलने वाला प्राथमिक उपचार पाने के लिए अब यात्रियों को 100 रुपये डॉक्टरी फीस और दवा के लिए देने होंगे. बोर्ड ने इसको लेकर सभी जोनों में पत्र भेज दिया है।
पूर्व रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने चलती ट्रेन में सुविधा के नाम पर इस व्यवस्था को शुरू किया. इसमें यात्रियों को सफर के दौरान तबीयत खराब होने पर ट्विटर और फोन के माध्यम से मदद मिलती है. लेकिन कुछ समय से फर्जी शिकायतें बढ़ गईं. वहीं, यात्रियों ने हाथ-पांव में दर्द जैसी छोटी-मोटी तकलीफों के लिए भी मदद मांगना शुरू कर दिया. इससे तंग आकर रेलवे ने यह फैसला लिया है.
रेल अधिकारियों के मुताबिक सफर के दौरान आने वाली किसी भी दिक्कत को रेलवे गंभीरता से लेता है. कई बार महिलाओं की प्रसव संबंधी परेशानियों की वजह से ट्रेन को भी रोका गया है और इलाज के बाद ही ट्रेन को रवाना किया गया है.
पहले 20 रुपये प्रति मरीज फीस निर्धारित थी
उपचार के नाम पर रेलवे में पहले 20 रुपये प्रति मरीज फीस निर्धारित थी. यह राशि बहुत कम थी. रेलवे डॉक्टर भी इसे नहीं लेते थे. वहीं, इसके लिए उन्हें कोई रसीद भी नहीं मिलती थी. इधर, ट्विटर पर शिकायत के बाद रेलवे डॉक्टर अस्पताल में ओपीडी छोड़कर स्टेशन पर ट्रेन आने का इंतजार करते दिखते थे. इससे अस्पताल में भी मरीजों को इलाज में दिक्कतें आती थीं.
अब ईएफटी बुक पर कटेगी रसीद
स्टेशन अधिकारियों के मुताबिक यात्री अगर यात्रा के दौरान उपचार की सुविधा या डॉक्टर की सहायता लेते हैं तो उनको अब 100 रुपये की रसीद भी दी जाएगी. इसके लिए टीटीई अपनी ईएफटी (एक्सेज फेयर टिकट) बुक से रसीद काटकर मरीजों को देगा.
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