जानिए महत्व: इस खास विधि से करें अक्षय तृतीया की पूजा

नई दिल्ली। मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन अगर किसान पूजा के समय भगवान के सामने इमली अर्पित करते हैं तो सालभर उनके खेतों में अच्छी पैदावार होती है और फसलों का मुनाफा भी अच्छा होता है।

मथुरा। अक्षय तृतीया के दिन सुबह उठकर नित्यकर्म निपटाने के बाद किसी पवित्र जलाशय या नदी में स्नान करना चाहिए। स्नान करने के पश्चात पीले रंग के वस्त्र धारण करें। इसके बाद मंदिर में या पूजाघर में विष्णु भगवान की प्रतिमा को पवित्र गंगा जल से स्नान कराएं। इसके बाद उनके चरणों में पीले रंग के फूल अर्पित करें और उन्हें पीले रंग के फूलों की ही माला भी पहनाएं. इसके साथ ही इस दिन मां लक्ष्मी की भी पूजा करने का प्रचलन है। मां लक्ष्मी को कमल का फूल बहुत प्रिय है। इसलिए पूजा के समय मां लक्ष्मी के चरणों में कमल के 2 फूल अर्पित करें. इस दिन पूजा के समय अक्षय तृतीया के लिए खरीदे गए गहने और सोने का सामान भी भगवान के सामने रखें।

माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु को मानने वाले भक्त अक्षय तृतीया के दिन उपवास भी रखते हैं. इस दिन गरीब और जरूरतमंद लोगों को दान करने से भी विशेष फल की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन अगर किसान पूजा के समय भगवान के सामने इमली अर्पित करते हैं तो सालभर उनके खेतों में अच्छी पैदावार होती है और फसलों का मुनाफा भी अच्छा होता है।

इस दिन का महत्‍व: अक्षय तृतीया माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु को समर्पित मानी जाती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भागवान विष्णु के अवतार परशुराम ने पृथ्वी पर जन्म लिया था. साथ ही ये भी माना जाता है कि अक्षय तृतीया के दिन ही ऋषि भागीरथ की तपस्या के फलस्वरूप भगवान शिव की जटा में विराजमान मां गंगा पहली बार धरती पर अवतरित हुई थीं। ऐसा भी माना जाता है कि इस दिन मां अन्नपूर्णा का भी जन्म हुआ था. मां अन्नपूर्णा रसोई की देवी मानी जाती हैं।

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