लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण में जिन 13 संसदीय सीटों पर 19 मई को मतदान होगा, उनमें मुस्लिम फैक्टर ज्यादा असरदार नहीं है। केवल छह सीटें ही ऐसी हैं जिन पर ढाई लाख या इससे ज्यादा मुस्लिम मतदाता हैं। महराजगंज में उनकी संख्या सर्वाधिक 4 लाख है। वहीं, घोसी में 3.75 लाख, कुशीनगर में 3.50 लाख मुस्लिम वोटर हैं। देवरिया में इनकी संख्या 2.75 लाख है।
पूर्वांचल की 13 लोकसभा सीटों में भाजपा 11 व उसका सहयोगी अपना दल दो सीटों पर चुनाव लड़ रहा है। इसी तरह गठबंधन में सपा 8 व बसपा 5 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। कांग्रेस 11 व उसकी सहयोगी जन अधिकार पार्टी एक सीट पर चुनाव मैदान में है।
भाजपा से कोई मुस्लिम प्रत्याशी नहीं है लेकिन बसपा व कांग्रेस ने एक-एक मुस्लिम प्रत्याशी पर दांव लगाया है। बसपा ने गाजीपुर से अफजाल अंसारी और कांग्रेस ने देवरिया से नियाज अहमद को उम्मीदवार बनाया है।
आखिरी चरण की 13 सीटों पर मुस्लिमों का रुझान आमतौर पर भाजपा को हराने वाले दलों के साथ है। अधिकतर सीटों पर भाजपा व गठबंधन में टक्कर होने के कारण मुस्लिमों का रुख प्राय: गठबंधन की तरफ दिख रहा है। हालांकि, मुस्लिमों की आबादी बहुत ज्यादा नहीं होने के कारण वे बहुत असरदार नहीं माने जा रहे हैं।
महराजगंज में 4 लाख मुस्लिम वोटर हो सकते हैं निर्णायक
महराजगंज लोकसभा सीट पर सर्वाधिक 4 लाख मुस्लिम मतदाता हैं। इस सीट पर उनके वोट निर्णायक साबित हो सकते हैं। यहां से भाजपा ने पंकज चौधरी को उम्मीदवार बनाया है। वह 1991, 1996, 1998, 2004 और 2014 में इसी सीट से सांसद चुने गए थे।
सपा ने अखिलेश सिंह को टिकट दिया है। वह 1999 में सपा से ही सांसद निर्वाचित हुए थे। कांग्रेस ने सुप्रिया श्रीनेत को उम्मीदवार बनाया है। उनके पिता हर्षवर्धन सिंह 2009 में कांग्रेस से सांसद चुने गए थे।
2014 में नहीं जीता था कोई मुस्लिम सांसद प्रदेश में 19 प्रतिशत से अधिक आबादी होने के बाद भी वर्ष 2014 में प्रदेश से कोई मुस्लिम सांसद नहीं चुना गया था। 2018 में हुए उपचुनाव में कैराना लोकसभा सीट से राष्ट्रीय लोकदल की तबस्सुम हसन सांसद चुनी गई थीं।
16वीं लोकसभा में वह प्रदेश की एकमात्र मुस्लिम सांसद हैं। 2009 में प्रदेश से 7, 2004 में 10, 1999 में 8, 1998 में 6, 1996 में 5 और 19991 में केवल 3 मुस्लिम सांसद निर्वाचित हुए थे।
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