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मथुरा
बड़ी होकर डॉक्टर या इंजिनियर बनने का सपना संजोए नन्हीं देवकी को इंतजार था, स्कूल से कॉपी, किताबें और नई ड्रेस मिलने का। गर्मी की छुटि्टयों के बाद कंधे पर बैग लटकाकर स्कूल जाने के उसके सपनों को जंगली कुत्तों ने तार-तार कर दिया। मासूम बच्ची की दिल दहला देने वाली मौत के बाद पिसावां गांव में दहशत के साथ मातम पसरा हुआ है।
‘बेटी के साथ ही चले गए उसके सपने’
उन्होंने कहा, ‘अब वह कभी भी ड्रेस पहन कर, बैग लटकाए स्कूल जाती दिखाई नहीं देगी। उसे अभी स्कूल से किताब-कापियों का बैग, ड्रेस नहीं मिल पाई थी और वह इंतजार में थी लेकिन उससे पहले ही यह हो गया। उसके साथ सारे सपने भी चले गए।’ इस भयावह हादसे के बाद पिसावां गांव में दहशत के साथ मातम पसरा हुआ है। पशु विशेषज्ञों का कहना है कि देहात क्षेत्र में खेतों में फेंके गए मृत पशुओं का मांस खाने वाले कुत्ते अब सियार, भेड़िया या लोमड़ी जैसे हिंसक वन्य जीवों की तरह ही व्यवहार करने लगे हैं। इसी कारण वे अब मनुष्यों पर हमले कर रहे हैं।
पशु चिकित्सा विभाग के मण्डलीय अपर निदेशक और पूर्व में मथुरा के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी रहे डॉ. एच के मलिक ने कहा, ‘पहले जंगली इलाकों में गिद्ध और चील बड़ी संख्या में होते थे, जो मृत पशुओं को खा जाते थे। अब उनकी आबादी लगभग खत्म हो जाने की वजह से आवारा कुत्ते मृत पशुओं का मांस खाकर जंगली जानवरों के समान ही व्यवहार करने लगे हैं।’
‘मरने वाले जानवरों का मांस खाकर हिंसक हो रहे कुत्ते’
इस घटना के परिप्रेक्ष्य में प्रधान कालीचरण की शिकायत पर, पिसावां गांव में मुआयना करने पहुंचे छाता तहसील क्षेत्र के पशु चिकित्साधिकारी डॉ. मनोज अग्रवाल ने कहा, ‘हमारी टीम ने जब गांव में इन कुत्तों की तलाश की तो वे नहीं मिले। संभव है कि उनका झुंड जंगली क्षेत्र में कहीं अंदर चला गया हो। अब तक तो ये कुत्ते मरे हुए मवेशियों अथवा गाय-भैंस के कमजोर पड्डों, खरगोश, नीलगाय, मोर आदि को शिकार बनाते थे लेकिन किसी इंसान की जान लेने की यह पहली घटना है।’
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