बीमार लालू ने छोड़ा खाना , पटना के डॉक्टर भी परेशान

पटना। रिम्स के पेईंग वार्ड में भर्ती लालू प्रसाद की दिनचर्या बिगड़ गई है और उनकी दिनचर्या देखकर जहां रांची के रिम्स में डॉक्टरों की परेशानी बढ़ गई है, वहीं पटना में ये जानकर परिवार के लोग भी परेशान हैं। । रिम्स के डॉक्टरों के मुताबिक पिछले तीन दिनों से न तो लालू सो पा रहे हैं, न ही दोपहर का खाना खा रहे हैं।

रिम्स में लालू प्रसाद का इलाज कर रहे प्रो. डॉ उमेश प्रसाद ने बताया कि वह सुबह में नाश्ता भी बिना मन से किसी तरह ले रहे हैं, लेकिन दोपहर का खाना तो बिल्कुल ही छोड़ दिया है। लालू इन दिनों सिर्फ सुबह में नाश्ता और फिर रात में ही खाना खा रहे हैं। इस वजह से उन्हें इंसुलिन देने में परेशानी हो रही है। डॉ उमेश प्रसाद ने बताया कि संभव है कि तनाव के कारण उनकी यह स्थिति है।

डॉ उमेश प्रसाद ने शनिवार को लालू प्रसाद को काफी समझाया और उनसे कहा है कि उनकी सेहत ठीक नहीं है। ऐसे में समय से खाना और दवा काफी जरूरी है। यदि समय से खाना नहीं खाएंगे तो समय से दवा नहीं दी जा सकेगी, जिसका सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है। डॉ प्रसाद ने बताया कि शनिवार को उनका ब्लड प्रेशर व शुगर भी ठीक ही था। लेकिन ऐसी स्थिति बनी रही तो कुछ कहा नहीं जा सकता है।

ज्ञात हो कि चुनाव परिणाम के दिन लालू प्रसाद सुबह आठ बजे से ही टीवी खोलकर देख रहे थे। लेकिन जैसे जैसे चुनाव परिणाम आने लगा उनकी उदासी बढ़ती चली गई। दोपहर एक बजे तो वह टीवी बंद कर चुपचाप सो गए।फिर उसके बाद से ही उनकी दिनचर्या बिगड़ गई है।

यह पूछे जाने पर कि लालू की यह स्थिति चुनाव में उनकी पार्टी के बुरे प्रदर्शन की वजह से हुई है, उनके डॉक्टर ने कहा, ‘हम उनसे इस तरह के सवाल नहीं पूछ रहे हैं। आप निष्कर्ष निकाल सकते हैं। लेकिन उनकी हालत देखकर यह तनाव की स्थिति ही लग रही है।’ गौरतलब है कि लालू यादव चारा घोटाला मामले में जेल में बंद हैं और रांची के हॉस्पिटल में उनका इलाज चल रहा है।

बता दें कि इस बार के लोकसभा चुनावों में एनडीए ने 40 में से 39 सीटों पर जीत दर्ज की है तो वहीं लालू प्रसाद की आरजेडी का खाता भी नहीं खुल सका। आरजेडी ने कांग्रेस, रालोसपा, हम और वीआईपी पार्टी के साथ महागठबंधन कर चुनाव लड़ा था। जिसमें से एकमात्र सीट कांग्रेस ही जीत सकी।

लालू प्रसाद के साथ मिलकर किताब लिखने वाले नलिन वर्मा ने कहा कि उन्होंने लालू प्रसाद की ऑटोबायोग्राफी ‘गोपालगंज टू रायसीना’ उन्हें सौंपी है। ऑटोबायोग्राफी में उनके 50 साल के राजनीतिक जीवन को दर्शाया गया है। इसमें लालू प्रसाद ने अपनी उपलब्धि के साथ-साथ कमियों को भी बताया है। किताब का निचोड़ यह है कि कैसे एक गरीब परिवार का व्यक्ति इस ऊंचाई तक पहुंचा, जहां लाखों लोग उनके चाहने वाले हैं।

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