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हापुड़| तीन माह पहले सात समंदर पार जाकर ऑस्कर पुरस्कार प्राप्त करने वाली गांव काठीखेड़ा निवासी स्नेह और सुमन ने उन्हें सहयोग करने वाली संस्था पर गंभीर आरोप लगाए हैं। वहीं संस्था की परियोजना समन्वयक ने आरोपों को निराधार बताया।
जनपद के गांव काठीखेड़ा निवासी सुमन वर्ष 2010 में एक्शन इंडिया संस्था से जुड़ीं, जबकि स्नेह जनवरी 2017 में जुड़ी। स्नेह और उसकी भाभी सुमन ने बताया कि वह एक्शन इंडिया संस्था के अंतर्गत काम करने वाली इकाई ‘सबला’ की सदस्य थीं। दोनों सबला केंद्र में सेनेट्री नेपकिन बनाने और बेचने का काम करती थीं। तीन माह पहले उनकी फिल्म ‘पीरियड : एंड ऑफ सेंटेंस’ को ऑस्कर पुरस्कार मिला था। यह पुरस्कार प्राप्त करने के लिए स्नेह और सुमन के अलावा संस्था की कई पदाधिकारी भी अमेरिका गई थीं।
इसके बाद उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने स्नेह और सुमन समेत उनकी नौ साथियों को पुरस्कार के रूप में एक-एक लाख रुपये दिए थे। इसके अलावा प्रदेश के राज्यपाल राम नाइक ने व्यक्तिगत तौर पर सुमन और स्नेह को 50-50 हजार रुपये पुरस्कार के रूप में दिए।
आरोप है कि एक्शन इंडिया नामक संस्था के पदाधिकारियों ने सुमन से पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा दिए गए एक लाख रुपये को संस्था को देने के लिए कहा। ऐसा नहीं करने पर उन्होंने संस्था छोड़ने के लिए दबाव बनाया। इस दबाव के कारण सुमन ने मजबूरी में नौकरी छोड़ दी। वहीं, उसकी ननद ने संस्था के पदाधिकारियों पर उसका डेढ़ माह का वेतन नहीं देने का आरोप लगाकर नौकरी छोड़ दी। दोनों ने अपनी जीविका चलाने के लिए नई नौकरी की तलाश शुरू कर दी है।
क्या कहती हैं स्नेह
सुमन की ननद स्नेह का कहना है कि वह जनवरी 2017 में संस्था से जुड़ी थी। शुरुआत में उन्हें दो हजार रुपये प्रतिमाह मिलते थे। ऑस्कर पुरस्कार मिलने के बाद उन्हें 2500 रुपये प्रतिमाह मिलने लगे। अप्रैल माह में उन्होंने अपना वेतन मांगा तो कहा गया कि फरवरी और मार्च माह में संस्था का काम नहीं करने के कारण वेतन नहीं दिया जा सकता। उसने बिना विवाद किए एक अप्रैल से सबला केंद्र पर रोजाना जाना शुरू कर दिया। 15 मई को जब अन्य सदस्यों को वेतन दिया गया तो उस सूची में उनका नाम नहीं था। इस कारण उन्हें त्यागपत्र देने के लिए मजबूर होना पड़ा।
सुमन ने लगाए गंभीर आरोप
ऑस्कर विजेता सुमन का कहना है कि वह वर्ष 2010 में एक्शन इंडिया नामक संस्था से जुड़ी थी। संस्था के पदाधिकारियों ने पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए एक लाख रुपये संस्था को सौंपने के लिए कहा था। रुपये नहीं देने पर संस्था छोड़ने का दबाव बनाया गया। इस कारण उन्हें त्यागपत्र देना पड़ा।
संस्था ने आरोपों को बताया निराधार
वहीं, एक्शन इंडिया की परियोजना समन्वयक सुलेखा सिंह का कहना है कि सुमन और स्नेह ने संस्था के नियमों का उल्लंघन किया। सुमन संस्था की कार्यकर्ता थीं और स्नेह संस्था में केवल स्वयंसेवक के रूप में कार्य करती थीं। संस्था का नियम है कि संस्था से जुड़ा कोई भी कार्यकर्ता किसी राजनीतिक दल से धन नहीं ले सकता। यदि राजनीतिक दल पुरस्कार के रूप में धन देता है तो उसे सबला समिति के खाते में जमा करना होगा। उस धन का उपयोग संस्था की संबंधित इकाई के कार्यों में ही खर्च किया जाएगा। सुलेखा सिंह ने बताया कि राज्यपाल द्वारा दिए गए रुपये संस्था ने उन दोनों से नहीं मांगे हैं, क्योंकि ये रुपये राज्यपाल ने उन्हें व्यक्तिगत रूप से दिए थ। सुमन को केवल अखिलेश यादव द्वारा दिए गए एक लाख रुपये सबला समिति के खाते में जमा कराने को कहा गया था। इसके लिए उन्हें डेढ़ माह का समय दिया था, लेकिन उन्होंने कोई जबाव नहीं दिया। 29 अप्रैल को उन्होंने रुपये लौटाने से इनकार कर दिया था। इसके बाद संस्था ने उन्हें केवल स्वयंसेवक के रूप में काम करने का प्रस्ताव दिया था। वहीं, स्नेह ने केंद्र में काम नहीं किया है, इस कारण उन्हें वेतन नहीं दिया गया है।
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