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नई दिल्ली। पीएम मोदी के खास और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल अब पहले से भी ज्यादा ताकतवर हो गए हैं. मोदी सरकार ने पिछले पांच साल में राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर उनके बेहतरीन काम को देखते हुए कैबिनेट रैंक का दर्जा दिया है. सरकार ने साफ कर दिया है कि वह अगले पांच साल तक इस पद पर बने रहेंगे.
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बने रहेंगे
पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री ने जब दूसरे कार्यकाल के लिए शपथ ली और जब लंबे समय से उनके सहयोगी रहे अमित शाह नए गृह मंत्री बने और गृह मंत्री रहे राजनाथ सिंह को रक्षा मंत्री बना दिया गया, तो अजीत डोभाल के एनएसए बने रहने को लेकर कयास लगाए जा रहे थे.
अजित डोभाल 1968 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. अजित डोभाल ने अपने करियर का ज्यादातर समय आईबी (इंटेलीजेंस ब्यूरो) में बिताए हैं. वह पूर्व आईबी प्रमुख भी रह चुके हैं. वह छह साल तक पाकिस्तान में भी रहे. अपने करियर के शुरुआती दिनों में वह पुलिस अधिकारी रहे और उन्हें 1998 में कीर्ति चक्र से भी सम्मानित किया गया था.
इसी के साथ खबर आ रही है कि अतिरिक्त प्रमुख सचिव पीके मिश्रा को प्रमुख सचिव बनाया जा सकता है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इस बार अतिरिक्त कैबिनेट सचिव पीके सिन्हा को प्रमुख सचिव बनाया जा रहा है. बताया जा रहा है कि इस पद के लिए राजीव गौबा के नाम भी चर्चा जोरों पर है. वह भी एक सीनियर ब्यूरोक्रेट हैं.
क्यों खास हैं अजीत डोभाल?
अजीत डोभाल को 2014 में 5वां राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया गया था. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में अजीत डोभाल कई बड़े फैसलों को अंजाम दे चुके हैं. उनकी निगरानी में 29 सितंबर, 2016 को पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में सर्जिकल स्ट्राइक की गई थी और इस साल 26 फरवरी को पाकिस्तान के बालाकोट में एयर स्ट्राइक की गई. अजीत डोभाल छह साल पाकिस्तान में मुसलमान बनकर भी रह चुके हैं. डोभाल 1988 में कीर्ति चक्र प्राप्त करने वाले पहले पुलिस अधिकारी हैं.
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