पीएम नरेंद्र मोदी ने दूसरे कार्यकाल की पहली कैबिनेट बैठक में ही प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (पीएम-किसान) का दायरा बढ़ाने पर मुहर लगा दी। सरकार के इस फैसले से देशभर के 8 लाख ऐसे अमीर किसानों को भी फायदा मिलेगा, जिनके पास 10 हेक्टेयर (करीब 25 एकड़) या इससे अधिक जमीन है।
हालांकि, भारत में कुल किसानों में इनकी हिस्सेदारी महज 0.6 फीसदी ही है। सबसे अधिक जमींदार किसान राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब,
कर्नाटक, हरियाणा और गुजरात में हैं। राज्यवार आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि पंजाब के कुल किसानों में 5.3 फीसदी इस श्रेणी में आते हैं। इसी तरह राजस्थान में 4.7 फीसदी और हरियाणा में 2.5 फीसदी बड़े किसान हैं। दूसरे राज्यों में ऐसे किसानों की संख्या 1 फीसदी से कम है।
भूमि की उर्वरा शक्ति, सिंचाई के साधन आदि को ध्यान में रखकर उत्पादकता की बात करें तो राजस्थान की तुलना पंजाब और हरियाणा से नहीं की जा सकती है, लेकिन कम पानी वाले प्रदेश में बड़े किसानों की संख्या से एक दिलचस्प तस्वीर बनती है। भारत के कुल 8.3 लाख बड़े किसानों में से 43 फीसदी (3.6 लाख) केवल राजस्थान में ही हैं।
राजस्थान सहित टॉप 12 राज्यों में देश के कुल 93 फीसदी बड़े किसान हैं। दूसरी तरफ गोवा, सिक्किम और दिल्ली सहित 13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में बड़े किसानों की संख्या ना के बराबर है। तेलंगाना में 9 हजार बड़े किसान हैं तो असम और ओडिशा में 4-4 हजार। बिहार और हिमाचल में इनकी संख्या 3-3 हजार है। केरल में 2 हजार और उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल और जम्मू-कश्मीर में 1-1 हजार किसानों के पास 25 एकड़ या इससे अधिक भूमि है। ये आंकड़े एग्रीकल्चर सेंसस 2015-16 से लिए गए हैं, जो पीएम किसान योजना के लिए डेटाबेस के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।
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