जाने पाकिस्‍तान को क्यों सता रहा है डर

नई दिल्‍ली। पाकिस्‍तान में छिपे भारत के मोस्‍ट वांटेंड अपराधी दाऊद इब्राहिम को लंदन में गिरफ्तार एक शख्‍स के प्रत्‍यर्पण का डर सताने लगा है। यह डर सिर्फ उस तक ही सीमित नहीं है बल्कि पाकिस्‍तान की सरकार तक इस शख्‍स के प्रत्‍यर्पण से घबरा रही है। इस शख्‍स का नाम जाबिर मोतीवाला है। मोतीवाला की सरकार के लिए अहमियत का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि पाकिस्‍तान की पूरी सरकार और संसद उसको बचाने के लिए एकजुट हो गई है। इसके लिए ब्रिटेन में मौजूद राजनयिक को जिम्‍मेदारी दी गई है। आपको बता दें कि मोतीवाला दाऊद का बेहद खास और करीबी है। इसके अलावा वह कराची का बड़ा कारोबारी है और पाकिस्‍तान में वह सम्‍मानित व्‍यक्तियों की लिस्‍ट में आता है।

पाकिस्‍तान को सता रहा है ये डर
असल में पाकिस्तान को डर है कि यदि मोतीवाला को ब्रिटेन से अमेरिका प्रत्यर्पित कर दिया गया, तो डी-कंपनी का यह करीबी साथी दाऊद इब्राहिम के कराची से संचालित अंडरवर्ल्‍ड नेटवर्क और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसिस इंटेलिजेंस (ISI) के बीच के गठजोड़ को उजागर कर देगा। गौरतलब है कि अमेरिका दाऊद इब्राहिम को पहले ही एक वैश्विक आतंकी घोषित कर चुका है, जो एक अंतरराष्ट्रीय ड्रग सिंडिकेट चलाता है और गिरोह के मार्गो को पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों के साथ साझा करता है।

ऐसे आया एफबीआई के जाल में 
मोतीवाला के एफबीआई के जाल में फंसने की कहानी भी बेहद दिलचस्‍प है। दरअसल, मोतीवाला को अपने जाल में फंसाने वाले फेडरल ब्‍यूरो ऑफ इंवेस्टिगेशन (FBI) के एजेंट पाकिस्‍तान मूल के थे। इन्‍होंने मोतीवाला से ए-क्‍लास हेरोइन का सौदा किया था। इसके अलावा मनी लॉड्रिंग और रंगदारी के मामलों पर भी मोतीवाला से मदद मांगी थी। वेस्‍टमिनिस्‍टर कोर्ट में जब मोतीवाला के प्रत्‍यर्पण पर जिरह हुई तब अमेरिकी वकील की तरफ से यह तथ्‍य सामने रखे गए थे। अमेरिकी सरकार की तरफ से पेश हुए बैरिस्टर जॉन हार्डी ने अदालत से कहा कि मोतीवाला खूब यात्रा करता है और अपने बॉस दाऊद इब्राहिम के लिए बैठकें करता है। दाऊद अपने भाई अनीस सहित भारत में आतंकी अपराधों के लिए वांछित है।

छिपाए गई एफबीआई एजेंट्स की पहचान 
कोर्ट में इन तीन एजेंटों की पहचान छिपाने के लिए इनको CS1, CS2 और CS3 नाम दिया गया। कोर्ट में बताया गया कि इन एजेंटों ने कराची की यात्रा की और मोतीवाला से मुलाकात की थी। इसमें अव्‍वल दर्जे की हेरोइन अमेरिका भेजने को लेकर सौदा तय हुआ था। इस मीटिंग को बेहद सीक्रेट तौर पर रिकॉर्ड भी किया गया था।

 

2018 में हुई थी गिरफ्तारी 
पिछले साल अगस्‍त में अमेरिका के अनुरोध पर मोतीवाला को स्‍कॉटलैंड यार्ड पुलिस की प्रत्यर्पण इकाई ने मनी लांडिंग और डी-कंपनी के हवाले से अर्जित नारकोटिक्स धन को साझा करने के आरोपों में एडगवेयर रोड़ से गिरफ्तार किया था। इसके बाद अमेरिका ने ब्रिटेन से उसके प्रत्‍यर्पण की अपील की थी। एफबीआई की दलील है कि मोतीवाला अमेरिका में न सिर्फ नशीले पदार्थों की तसकरी में लिप्‍त है बल्कि वहां पर रंगदारी और कालेधन को सफेद बनाने के कारोबार से भी जुड़ा हुआ है। इसके अलावा भी उसके कई तरह के गैरकानूनी धंधे हैं। अपनी दलील में ही बैरिस्‍टर हार्डी ने मोतीवाला को दाऊद की डी-कंपनी का सबसे बड़ा सहयोगी बताया। हार्डी का कहना था कि दाऊद इब्राहिम भारत में कई तरह के संगीन अपराधों में लिप्‍त है। हार्डी ने कोर्ट के समक्ष ये भी बताया कि जब एफबीआई एजेंट मोतीवाला से कराची में मिले थे तब खुद मोतीवाला ने डी-कंपनी से जुड़े होने और उनके कालेधंधों का खुलकर जिक्र किया था। डी-कंपनी पाकिस्‍तान, भारत और यूएई में एक्टिव है।

मोतीवाला ने दी थी एफबीआई एजेंट को धमकी 
आपको यहां पर ये भी बता दें कि एफबीआई 2005 से ही मोतीवाला के पीछे लगी है। कोर्ट में अमेरिकी पक्ष के रूप में मोतीवाला से हुई बातचीत, ईमेल और मीटिंग के सुबूत भी सौंपे गए। इतना ही नहीं कोर्ट में यहां तक कहा गया कि हेरोइन अमेरिका में पहुंचाने के बाद जब मोतीवाला को पैसे नहीं मिले तो उसने एफबीआई एजेंट CS1 को धमकी तक दी थी। उस वक्‍त एजेंट की तरफ से मोतीवाला को 20 हजार डॉलर की पेमेंट की गई थी। यह कराची के अकांउट में की गई थी। इसका भी सुबूत कोर्ट में पेश किया गया।

मोतीवाला के वकील का पक्ष 
अमेरिकी दलील के जवाब में मोतीवाला के बैरिस्‍टर एडवार्ड फिट्जगेराल्‍ड का कहना था कि मामले को काफी समय हो चुका है और अमेरिका ने इस संबंध में 2014-2018 के बीच कोई कार्रवाई नहीं की। उनका कहना था कि मोतीवाला गंभीर अवसाद से ग्रस्त है और तीन बार आत्महत्या की नाकाम कोशिशें कर चुका है। इसलिए उसे मनीलांडिंग, ड्रग तस्करी और अंडरवल्र्ड से जुड़े अपराध के आरोपों का सामना करने के लिए अमेरिका प्रत्यर्पित नहीं किया जा सकता है।

दाऊद के काम के लिए यूरोप का टूर 
अमेरिकी पक्ष के वकील ने कहा कि मोतीवाला डी-कंपनी के काले धन को विदेश में विभिन्न परियोजनाओं में निवेश करता रहा है। वह कथित तौर पर ड्रग तस्करी में संलिप्त रहा है और डी-कंपनी की तरफ से धन उगाही के लिए यूरोप की यात्रा भी करता रहा है। यदि मोतीवाला को अमेरिका प्रत्यर्पित किया गया, तो यह दाऊद के साथ ही पाकिस्तानी शासन व्यवस्था में मौजूद उसके संरक्षकों को एक बड़ा झटका होगा।

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