जम्मू—कश्मीर में ‘बढ़ती हलचल’ के पीछे हो सकती हैं ये पांच वजहें

नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर में सेना की बढ़ती हलचल से सभी हैरान हैं. राजनीतिक दल सरकार से सवाल कर रहे हैं. अफरातफरी का माहौल बना हुआ है. राज्यपाल और सेना की तरफ से कुछ बयान आए हैं लेकिन पुख्ता तौर पर कुछ भी सामने नहीं आ पाया है, जिसके बाद ये कहा जा सके कि इसी वजह से घाटी में सेना की इतनी भारी तैनाती की जा रही है.

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नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि अगर अमरनाथ यात्रा पर आतंकी हमले का इनपुट है तो फिर गुलमर्ग के होटलों को क्यों खाली करवाया जा रहा है? श्रीनगर के एनआईटी को क्यों खाली करवाया जा रहा है? जम्मू कश्मीर में अफरा तफरी के बीच कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. आखिर सेना की भारी तैनाती को किस तरीके से लिया जाए? सवाल गंभीर है लेकिन इसके पीछे ये 5 वजहें हो सकती हैं.

खत्म हो सकता है जम्मू कश्मीर का स्पेशल स्टेट्स
सबसे ज्यादा इसी बात की संभावना जताई जा रही है. कहा जा रहा है कि जम्मू कश्मीर को स्पेशल स्टेट्स देने वाले आर्टिकल 35ए और 370 को केंद्र सरकार खत्म कर सकती है. ऐसा करने से पहले सरकार घाटी में भारी सुरक्षाबल की तैनाती कर रही है ताकि विरोध होने पर उससे आसानी से निपटा जा सके. हालांकि ये मामला कोर्ट में लटका पड़ा है. लेकिन बीजेपी ने 35ए और 370 के मुद्दे को 2104 के साथ 2019 के अपने घोषणापत्र में बनाए रखा है. राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने 35ए के साथ छेड़छाड़ से इनकार किया है. लेकिन ये मसला लगातार चर्चा में बना हुआ है.

राज्य का फिर से बंटवारा

कहा जा रहा कि केंद्र सरकार जम्मू कश्मीर का फिर से बंटवारा कर सकती है. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक जम्मू को अलग राज्य बनाया जा सकता है और कश्मीर और लद्धाख को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा मिल सकता है.

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15 अगस्त को कश्मीर में तिरंगा फहरा सकते हैं पीएम मोदी

इस हलचल के पीछे एक संभावना ये भी जताई जा रही है कि हो सकता है प्रधानमंत्री मोदी इस बार 15 अगस्त को कश्मीर में तिरंगा फहराएं. प्रधानमंत्री मोदी लीक से हटकर चलते आए हैं. उन्होंने अपने फैसलों से पहले भी चौंकाया है. इसलिए हो सकता है कि इस बार वो कश्मीर में झंडा फहराकर देशवासियों को हैरान करने वाले हों. अगर ऐसा होता है तो पूरे देश में राष्ट्रवाद की एक अलग लहर चलेगी. मोदी सरकार के खाते में एक और बड़ी उपलब्धि दर्ज होगी.

विधानसभा चुनाव की तैयारी
एक संभावना ये भी हो सकती है कि शायद ये जम्मू कश्मीर में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी हो. जम्मू कश्मीर में विधानसभा का चुनाव टलता आ रहा है. पिछले साल जुलाई से वहां राष्ट्रपति शासन लगा है. कुछ दिनों पहले ही चुनाव आयोग ने कहा था कि इस साल के आखिर में जम्मू कश्मीर में चुनाव हो सकते हैं. हो सकता है कि चुनाव के बारे में किसी भी तरह की घोषणा से पहले सुरक्षा व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त की जा रही हो.

आतंकवादियों को जवाब देने की बड़ी तैयारी
इसे घाटी में आतंकवादियों के मुंहतोड़ जवाब देने की तैयारी के तौर पर भी देखा जा रहा है. ऐसे इनपुट भी मिले हैं कि पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी अमरनाथ यात्रा पर बड़े हमले की तैयारी कर रहे हैं. इसके बाद ही अमरनाथ यात्रा को रोका गया. अब हो सकता है कि आतंकियों के हौसले को तोड़ने के लिए सेना बड़ी कार्रवाई की तैयारी में लगी हो.

टाइम्स ऑफ इंडिया के हवाले से कहा गया है कि पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी घाटी में बड़ी आतंकी घटना को अंजाम देने की फिराक में थे. इसके इनपुट मिलने के बाद ही घाटी में सेना की तैनाती बढ़ी है.
ये भी हो सकता है कि सरकार कश्मीरी पंडितो को घाटी में वापसी के लिए माहौल बनाने की तैयारी कर रही हो. बीजेपी के लिए पहले से ही बड़ा मसला रहा है. बीजेपी कश्मीरी पंडितों की घरवापसी के लिए आवाज उठाती रही है.

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