नई दिल्ली : पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक यानी पीएमसी बैंक घोटाला मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दायर याचिका पर सुनवाई करने से मना कर दिया है। बड़ी बात तो ये है कि कोर्ट के इस फैसले को पीड़ितो के लिए बहुत बुरा माना जा रहा है। पीएमसी बैंक के ग्राहकों के लिए राहत मांग रहे याचिकाकर्ता को सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करने को कहा है। इस दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को जानकारी दी कि सरकार इस विषय पर चिंतित है और जरूरी कदम उठा रही है।
है थी उम्मीद, वो भी चली गई
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को 15 लाख लोगों के फंसे हुए रुपयों पर अंतरिम सुरक्षात्मक उपायों के लिए दिशा-निर्देश मांगने वाली याचिका पर तत्काल सुनवाई के लिए सहमति जाहिर की थी। जिनका पैसा घोटालेबाज पीएमसी बैंक में रूका हुआ है।
इसके बाद ये उम्मीद लगाई गई थी कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस मामले पर सुनवाई पर सहमति के बाद पीएमसी बैंक घोटाले के पीड़ितों को न्याय मिल पाएगा। लेकिन शुक्रवार को कोर्ट ने अपने फैसले में पीएमसी बैंक घोटाला मामले में पीड़ितो को झटका दिया है।
पीएमसी बैंक के जमाकर्ताओं ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर अपनी जमाओं पर सौ फीसद बीमा प्रोवाइड कराए जाने की मांग की थी।
सूत्रों के अनुसार, शुरुआती जांच में पाया गया था कि पीएमसी बैंक में 4355 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है। इसके साथ ही पुलिस ने अपनी जांच के दौरान पाया कि पीएमसी बैंक के अधिकारियों ने घाटे में चल रही एचडीआईएल कंपनी में सीधे 2000 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर दिए थे।
उन्होंने इस राशि को लोन के नाम एचडीआईएल को दिया था। हुई जांच के बाद इस मामले में एचडीआइएल के मालिक राकेश और सारंग वधावन गिरफ्तार किए जा चुके हैं।
आर्थिक अपराध शाखा ने इन्हें भी किया गिरफ्तार
आर्थिक अपराध शाखा ने राकेश कुमार वाधवान और सारंग वाधवान की संपत्ति जब्त कर ली है। जिसकी कीमत 3,500 करोड़ रुपये है। इन दोनों से पूछताछ करने के लिए आर्थिक अपराध शाखा की स्पेशल इनवेस्टिंग टीम अपने साथ लेकर गई थी।
लेकिन राकेश कुमार वाधवान और सारंग वाधवान ने जांच में सहयोग नहीं किया, जिसके बाद इन्हें गिरफ्तार किया गया। हालांकि, बृहस्पतिवार को खबर सामने आई कि एचडीआइएल के प्रमोटर्स राकेश और सारंग वधावन ने बुधवार को एक पत्र लिखकर जांच एजेंसियों से अपनी जब्त संपत्तियों को बेचने और पीएमसी बैंक को लोन चुकाने की प्रक्रिया शुरू अनुरोध किया है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, प्रमोटर्स ने इस संबंध में प्रवर्तन निदेशालय, आर्थिक अपराध शाखा, वित्त मंत्रालय, भारतीय रिजर्व बैंक, राज्यपाल और उप राज्यपाल को पत्र लिखे हैं।
एजेंसियों को लिखे अपने पत्र में उन्होंने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों से इंकार किया है और कहा है कि उनका अनुरोध जमाकर्ताओं के हित के लिए किया गया है।
खाताधारक का ये कहना है
इसके साथ ही पीएमसी बैंक घोटला मामले में ये कहना है पीएमसी बैंक की एक खाताधारक अनीता लोहिया का।
पीएमसी बैंक पर लगाई गई पाबंदियों से अनीता समेत 15 लाख से ज़्यादा ग्राहक प्रभावित हुए हैं। उनका कहना है कि ये सभी अब सुप्रीम कोर्ट से कुछ राहत पाने की आस लगाए हैं। कोर्ट में इस मामले की सुनवाई शुक्रवार को हो सकती है। लेकिन बता दें कि अब इनको इन अरमानों पर भी पानी फिर गया है।
और तो और खाताधारकों का दावा है कि पैसे गँवाने के दबाव के चलते अब तक कम से कम तीन खाताधारकों की मौत हो चुकी है। हालांकि, आधिकारिक तौर पर इसे लेकर कुछ नहीं कहा गया है। खाताधारकों का कहना है कि वो इस मामले में जल्दी से जल्दी राहत चाहते हैं।
Leave a Reply