नई दिल्ली. भारतीय क्रिकेट टीम में खेलना हर युवा क्रिकेटर का सपना होता है. जब ये सपना साकार होता है तो वो किसी भी खिलाड़ी के लिए उसकी जिंदगी के सबसे खुशनुमा दिनों में से एक होता है. दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ रांची टेस्ट से ठीक एक दिन पहले झारखंड के स्पिनर शाहबाज नदीम के लिए भी ये ऐसा ही लम्हा था. रांची टेस्ट से पहले स्पिनर कुलदीप यादव चोटिल हो गए थे और उनके कवर के तौर पर शाहबाज नदीम को टीम में शामिल कर लिया गया था. इतना ही नहीं, उन्हें रांची टेस्ट में टीम इंडिया की प्लेइंग इलेवन में भी शामिल किया गया. अपने पहले टेस्ट में शाहबाज नदीम ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए चार विकेट अपने नाम किए. मगर अब बांग्लादेश (Bangladesh) के खिलाफ चुनी गई टेस्ट टीम में शाहबाज नदीम को जगह नहीं दी गई है. वो भी तब जबकि रवि शास्त्री ने जमकर शाहबाज नदीम की शान में कसीदे पढ़े थे.
बिशन सिंह बेदी होते तो नदीम से कहते, चीयर्स यंग मैन ः रवि शास्त्री
शाहबाज नदीम का टीम इंडिया में न चुना जाना इसलिए भी हैरान करता है क्योंकि रांची टेस्ट में उनके प्रदर्शन की भारतीय टीम के हेड कोच रवि शास्त्री ने भी जमकर तारीफ की थी. रवि शास्त्री ने कहा था, ‘शाहबाज नदीम ने अपने प्रदर्शन से बेहद प्रभावित किया है. जब उन्होंने अपना पहला विकेट लिया तो मैंने कहा कि अगर बिशन सिंह बेदी उन्हें देख रहे होते तो कहते, चीयर्स यंग मैन.’ मैदान के बाहर से उनकी गेंदबाजी देखना अद्भुत है. शाहबाज नदीम को यहां तक पहुंचने के लिए 420 से ज्यादा विकेटों का फासला तय करना पड़ा. मुझे यह देखकर खुशी हुई कि उन्होंने अपने घरेलू दर्शकों के सामने मैच खत्म किया. चार विकेट लेना ऐसा प्रदर्शन है जो शुरुआत के लिहाज से बेहतरीन है. वे बिल्कुल भी दबाव में नहीं थे. शुरुआती तीन ओवर मेडन डाले और हर गेंद बिल्कुल सही ठिकाने पर पड़ रही थी. ये सब उनके अनुभव की वजह से था.’
शाहबाज नदीम को घरेलू क्रिकेट का करीब 15 साल का अनुभव है. (PTI)
15 साल पहले शाहबाज नदीम के पिता ने दोनों बेटो असद इकबाल और शाहबाज नदीम को साफ कहा था कि दोनों भाइयों में से कोई एक ही क्रिकेट में करियर बना सकता है. उन्हें लगता था कि बिहार जैसे राज्य से आने के कारण वह क्रिकेट में कुछ बड़ा नहीं कर पाएंगे. हालांकि इकबाल ने नदीम को क्रिकेट में आगे बढ़ने का मौका देते हुए खेलना छोड़ दिया. उस समय नदीम अंडर 19 में खेला करते थे. वहीं क्रिकेट छोड़कर इकबाल एमबीए करके दिल्ली में बस गए. नदीम ने खेलना जारी रखा और घरेलू क्रिकेट में अपनी जगह बनाई.
शाहबाज नदीम ने 30 साल से ज्यादा की उम्र में टेस्ट डेब्यू किया है जबकि वह पिछले 15 साल से घरेलू क्रिकेट खेल रहे हैं. शाहबाज नदीम ने साल 2004 से अब तक 111 फर्स्ट क्लास मैच खेले हैं जिसमें उनके नाम 428 विकेट हैं, जबकि लिस्ट ए क्रिकेट में नदीम ने 106 मैचों में 145 विकेट हासिल किए हैं.
शाहबाज नदीम ने रांची टेस्ट के बाद कहा था, ‘जब मुझे टीम में चुनने की सूचना देने के लिए फोन आया, तब मैं नमाज पढ़ रहा था. नमाज पढ़ने के बाद जब मैंने फोन उठाया तो मुझे इस बारे में पता चला. तब दोपहर के ढाई बज रहे थे. मैं बहुत भावुक और उत्साहित था. मगर इसके बाद मैंने इस बात पर फोकस किया कि मुझे मैच में क्या करना है.’
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