
महाराष्ट्र में सत्ता को लेकर संग्राम छिड़ा हुआ है। इस चुनावी दंगल में केवल शिवसेना ही एक ऐसी पार्टी है, जो या तो भाजपा के साथ मिल जाए तो सरकार बन जाएगी, या फिर कांग्रेस और एनसीपी (एनसीपी ) के साथ मिल जाए तो सरकार बन जाएगी। बीजेपी का साथ छोडने के बाद अब शिवसेना एनसीपी और कांग्रेस से आस लगाए बैठी है, लेकिन उसके सामने नई डिमांड लिस्ट रख दी है। जैसे बीजेपी के सामने शिवसेना ने शर्ते रखी थी वैसे ही एनसीपी और कांग्रेस भी कर रही है।
कांग्रेस और एनसीपी के नेता लगातार बैठक कर रहे हैं। मल्लिकार्जुन खड़गे और केसी वेणुगोपाल ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार के साथ बैठक की। इसके बाद कहा जा रहा है कि दोनों दलों ने शिवसेना के सामने कई शर्ते रखी है। एनसीपी ने फॉर्मूला रखा कि शिवसेना और उसके बीच ढाई-ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद का बंटवारा किया जाए, जबकि कांग्रेस को पूरे पांच साल के लिए डिप्टी सीएम का पद मिले। पार्टी तीनों दलों में सत्ता की बराबर भागीदारी चाहती है, कांग्रेस का कहना है कि नई सरकार में 42 कैबिनेट मंत्री बनाए जाएं और उनमें से शिवसेना और एनसीपी के साथ 14-14 मंत्री बांटे जाएं। इतना ही नहीं बड़े-बड़े पद जैसे गृहमंत्री और राजस्व मंत्री का पद भी सभी दलों में बराबर बंटवारा हो।
कांग्रेस का कहना है कि शिवसेना का मुख्यमंत्री होने की सूरत में दो उप-मुख्यमंत्री का फॉर्मूला भी चर्चा के केंद्र में है। वहीं शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे का कहना है कि अगर बीजेपी और महबूबा मुफ़्ती वैचारिक मतभेदों को दूर करते हुए साथ काम कर सकते हैं तो मौजूदा स्थिति में उनकी पार्टी कांग्रेस और एनसीपी के साथ काम करने का फ़ॉर्मूला खोज़ लेंगे। इसके साथ ही हमने बीजेपी के PDP और नीतीश के साथ समझौते की जानकारी मंगवाई है, जिससे ये समझ सकें की अलग-अलग विचारधारा वाले दल कैसे साथ आते हैं।
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