मुश्किल में फंसे मोदी-शाह: एक्ट के विरोध में कांग्रेस का बहुत बड़ा ऐलान, राहुल गांधी ने किया ट्वीट

हाल ही में भारत सरकार के द्वारा प्रस्तावित नागरिकता संशोधन एक्ट 2019 पर कांग्रेस खुलकर हमलावर है इसी बीच कांग्रेस ने इस एक्ट के विरोध में एक ऐसा ऐलान कर दिया है जिससे सरकार की मुश्किलें काफी ज्यादा बढ़ सकती हैं क्योंकि कांग्रेस महात्मा गांधी के उस आंदोलन को अपनाने जा रही है जिसने अंग्रेजो की नींव को हिला दिया था

कांग्रेस का दमदार ऐलान

दरअसल कांग्रेस ने ऐलान किया है कि वह सोमवार को राजघाट पर नागरिकता संशोधन एक्ट के खिलाफ सत्याग्रह करने जा रही है कांग्रेस का तर्क है कि सरकार के द्वारा लाया गया जहां बिल भारत को धर्म के आधार पर विभाजित करने का कार्य करता है

राहुल गांधी ने किया ट्वीट

इसी बीच राहुल गांधी ने लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचने के लिए एक ट्वीट भी किया उन्होंने लिखा कि ”भारत के प्रिय युवाओं, मोदी और शाह ने आपके भविष्य को बर्बाद कर दिया है. वो नौकरियों की कमी और अर्थव्यवस्था की स्थिति को लेकर आपके गुस्से का सामना नहीं कर सकते. यही वजह है कि हमारे प्यारे भारत को बांट रहे हैं और नफरत के पीछे छिप रहे हैं.” गांधी ने कहा, ”हम हर भारतीय के प्रति स्नेह दिखाकर इनको पराजित कर सकते हैं

झारखंड में क्या तेजस्वी यादव ने फूंकी आरजेडी में ‘जान’

झारखंड चुनाव के नतीजे राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के लिए भी खुशी लेकर आई है. चुनावी नतीजों में आरजेडी को 4 सीटें मिलती दिख रही हैं. 2014 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को एक भी सीट हासिल नहीं हुई थी. इस बार 4 सीटें मिलने और राज्य में महागठबंधन की सरकार बनने की संभावना देखकर तेजस्वी यादव उत्साहित हैं.

चुनावी नतीजों के रुझान पर उन्होंने छूटते ही कहा कि झारखंड में महागठबंधन की सरकार बनने जा रही है और हेमंत सोरेन राज्य के मुख्यमंत्री होंगे. तेजस्वी ने कहा कि हमने हेमंत सोरेन के नेतृत्व में चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी.

तेजस्वी के सामने थी बड़ी चुनौती
तेजस्वी यादव के लिए झारखंड का चुनाव बड़ी चुनौती थी. झारखंड विधानसभा में आरजेडी का एक भी सदस्य नहीं था. इसलिए वो कांग्रेस, जेएमएम और आरजेडी के महागठबंधन में ज्यादा सीटों की डिमांड रखने की हैसियत में नहीं थे. महागठबंधन ने आरजेडी को 7 सीटें दी थीं. हालांकि तेजस्वी यादव ने इन सभी सीटों के लिए पूरा जोर लगा दिया था.

उन्होंने अपने उम्मीदवारों के साथ सहयोगी दलों के उम्मीदवारों के लिए भी जोरदार चुनाव प्रचार किया. आरजेडी के लिए 7 सीटों में से 4 सीटों पर बढ़त बनाए रखना कम बड़ी बात नहीं है.

किस सीट पर मिल रही है आरजेडी को कामयाबी
महागठबंधन के कोटे से आरजेडी को देवघर, गोड्डा, कोडरमा, चतर, बरकट्ठा, छतरपुर और हुसैनाबाद सीट दी गई थी. इसमें चतरा सीट से आरजेडी उम्मीदवार सत्यानंद भोक्ता आगे चल रहे हैं. दूसरे नंबर पर हैं बीजेपी उम्मीदवार जनार्दन पासवान. दोनों के बीच वोटों का अंतर 12 हजार से अधिक है. इसलिए जीत तकरीबन निश्चित दिख रही है.इसी तरह से देवघर से आरजेडी प्रत्याशी सुरेश पासवान अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी बीजेपी के नारायण दास से आगे चल रहे हैं. इनदोनों के बीच भी वोटों का अंतर 13 हजार से अधिक है. यहां भी जीत तकरीबन निश्चित दिख रही है.

गोड्डा से आरजेडी उम्मीदवार संजय प्रसाद यादव, बीजेपी के अमित कुमार मंडल से आगे चल रहे हैं. हालांकि वोटों का अंतर 3 हजार से कुछ ज्यादा है.कोडरमा से आरजेडी उम्मीदवार अमिताभ कुमार आगे चल रहे हैं. यहां दूसरे नंबर पर हैं बीजेपी के डॉ नीरा यादव. हालांकि दोनों के बीच वोटों का अंतर कम है.

चुनाव के वक्त संकटों में घिरी थी आरजेडी
चुनाव से पहले आरजेडी के लिए बड़ी मुश्किल घड़ी थी. लालू प्रसाद यादव जेल में बंद थे और तेजस्वी यादव के नेतृत्व को लेकर आरजेडी के भीतर ही कई तरह के सवाल उठ रहे थे. उसपर तेजप्रताप यादव के पारिवारिक झगड़ ने भी पार्टी का नुकसान ही किया है.

सबसे बड़ा झटका तो उस वक्त लगा जब झारखंड में आरजेडी की अध्यक्ष रही अन्नपूर्णा देवी ने चुनावों से पहले बीजेपी जॉइन कर ली. अन्नपूर्णा देवी झारखंड में आरजेडी का चेहरा थीं. अन्नपूर्णा देवी के पति स्व. रमेश कुमार अभिवाजित बिहार में लालू सरकार में मंत्री रह चुके थे. इनके निधन के बाद 1996 में कोडरमा सीट अन्नापूर्णा देवी को दी गई. 1996 से 2014 तक अन्नपूर्णा देवी कोडरमा सीट से जीत हासिल करती आ रही थी.

ऐसे कठिन वक्त में आरजेडी का चुनावों में उतरना आसान नहीं था. लेकिन चुनाव के नतीजों ने आरजेडी में आशा भरी होगी. एक बात ये भी कही जा रही है कि इन चुनावों में लालू प्रसाद यादव ने किंगमेकर की भूमिका निभाई है. जेल में रहते हुए भी उन्होंने महागठबंधन की रुपरेखा बनाने में मदद की. उनकी कोशिशों के चलते ही जेएमएम, कांग्रेस और आरजेडी एकसाथ आए.

झारखंड में आरजेडी का ट्रैक रिकॉर्ड
एक वक्त ऐसा भी था कि झारखंड में आरजेडी का अच्छा खासा जनाधार था. 1995 के अभिवाजित बिहार में आरजेडी ने 14 सीटों पर जीत हासिल की थी. हालांकि बिहार से अलग होने के बाद झारखंड में आरजेडी का जनाधार घटता गया. 2005 में हुए पहले चुनाव में आरजेडी को 7 सीटों पर जीत मिली.

इसके बाद 2005 के चुनाव में आरजेडी 5 सीटों पर सिमट गई. लेकिन सबसे बड़ा झटका 2014 के चुनाव में लगा. पिछले चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल को एक भी सीट नहीं मिल पाई. इस बार के चुनाव के नतीजों ने आरजेडी को एक बार आशा की किरण दिखा दी है.

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