महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने पिछले तीन महीनों से सीएए और उसके बाद एनपीआर के विरोध में खड़ी कांग्रेस और एनसीपी दोनों की परवाह किए बगैर नागरकिता संशोधन कानून ( CAA)और नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR) को शिवसेना के समर्थन का खुल्लमखुल्ला ऐलान किया है। उद्धव ठाकरे के उक्त ऐलान से माना जा रहा है कि एक बार फिर महाराष्ट्र के सियासत में तूफान उठ सकता है।
गौरतलब है नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB)जब संसद के दोनों में सदनों में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा पेश किया गया था, तो कांग्रेस और एनसीपी दोनों ने बिल का विरोध किया था, लेकिन शिवसेना ही एक ऐसी पार्टी थी, जिसने बिल के समर्थन में लोकसभा में हुई में वोटिंग हिस्सा लिया था और राज्यसभा में भी वोटिंग से बाहर रहकर बिल को सपोर्ट किया था।
यह बात यही नहीं रूकी, महाराष्ट्र के मुखिया उद्धव ठाकरे ने एक वक्त में जब सभी कांग्रेस और गैर-बीजेपी राज्यों की सरकारों ने सीएए के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव तक लेकर आ गईं थी, फिर भी उद्धव ने सीएए के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव नहीं लाने के खिलाफ अडिग रहे।
निः संदेह उद्धव ठाकरे के सीएए के खिलाफ उक्त रवैये से महाराष्ट्र सरकार में सहयोगी एनसीपी और कांग्रेस को अखर रहा था, लेकिन अब जब उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृहमंत्री से औपचारिक मुलाकात के बाद खुल्लमखुल्ला सीएए के समर्थन में बयान जारी कर दिया है।
माना जा रहा है कि महाराष्ट्र सरकार में सहयोगी दलों द्वारा म्यान में रखी गई तलवारें बाहर निकल आएंगी। क्योंकि कांग्रेस और एनसीपी अभी भी सीएए और एनपीआर के खिलाफ विरोधी रवैये पर अटल हैं और एक खास वर्ग यानी मुस्लिम समुदाय को सीएए और एनपीआर के विरूद्ध भड़काकर राजनीतिक जमीन बना चुके हैं।
यह अलग बात है कि नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए किसी भी भारतीय मुसलमान की नागरिकता खत्म करने अथवा उनकी नागरिकता पर विचार करने का कानून नहीं है। गजेटेड की जा चुकी सीएए ऑनलाइन उपलब्ध है, जिसमें यह स्पष्ट रूप से उल्लेखित है कि यह कानून उन अल्पसंख्यकों के लिए बनाया गया है, जो पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक आधार पर पीड़ित हैं।
नागरिकता संशोधन कानून सिर्फ धार्मिक रूप से प्रताड़ित पाकिस्तानी, अफगानी और बांग्लादेशी हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई अल्पसंख्यकों के लिए है, जो भारत में आकर शरणार्थी की तरह रह रहे हैं। हालांकि ऐसा कानून पहले से ही भारत में मौजूद था, जिसे मोदी सरकार ने ऐसे शरणार्थियों की सुगमता के लिए संशोधित किया है।
चूंकि उपरोक्त तीनों देश इस्लामिक राष्ट्र हैं, इसलिए इस कानून में मुस्लिम को नहीं शामिल किया गया है, क्योंकि कानून बनाते समय यह माना गया है कि एक मुस्लिम इस्लामिक राष्ट्र में प्रताड़ित नहीं हो सकता है और अगर कोई उपरोक्त तीनों राष्ट्रों में प्रताड़ित भी हो रहा है।
हालांकि इस्लामिक राष्ट्र के मुस्लिम नागरिकों के लिए सामान्य तरीकों से भारत की नागरिकता हासिल करने का विकल्प आज भी मौजूद है और वह भारत की नागरिकता के लिए पूर्व पाकिस्तानी नागरिक और मशहूर सिंगर अदनान सामी की तरह आवेदन करने के लिए स्वतंत्र है और नागरिकता भी हासिल कर सकता है। ठीव वैसे ही जैसे सिंगर अदनाम सामी समेत करीब 566 पाकिस्तानी नागिरकों ने किया था, जिन्हें पिछले वर्ष भारत की नागरिकता प्रदान की गई।
महराष्ट्र की सियासत में उद्धव ठाकरे के सीएए और एनपीआर के समर्थन से बवाल उठना तय माना जा रहा है, लेकिन यह कब उठेगा इसका इंतजार जल्द खत्म हो सकता है। महाराष्ट्र में बनी गठबंधन सरकार की अगुवाई कर रही शिवसेना पर कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के तहत सवाल-जवाब किए जाने तय हैं।
चूंकि सीएए पर कांग्रेस अपने रूख पर अभी भी कायम है और जहां-जहां भी सीएए के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं, उसे कांग्रेस का समर्थन स्पष्ट रूप से हासिल है। इसलिए सफाई शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे को ही देना होगा। सवाल उठता है कि क्या उद्धव ठाकरे सीएए और एनपीआर पर अपने स्टैंड को सहयोगी पार्टियों को समझा पाएंगे।
क्योंकि अगर उद्धव ठाकरे सीएए और एनपीआर पर कोई कन्फ्यूजन नहीं है तो उन्हें भटके हुए दोनों सहयोगियों क्रमशः कांग्रेस और एनसीपी के प्रमुखों का सीएए और एनपीआर के लिए मार्गदर्शन जरूर करना चाहिए। लेकिन यह संभव नहीं दिखता है।
सीएए और एनपीआर का समर्थन करके महाराष्ट्र सरकार की अगुवाई कर रहे शिवसेना चीफ ने स्थिति स्पष्ट कर दी है कि वो किसी भी कीमत पर अपने कोर वोटरों को बिखरते नहीं देखना चाहते हैं, जिस पर अभी उनके चचेरे भाई राज ठाकरे की नज़र है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे ने गत 9 फरवरी को शिवसेना संस्थापक बालासाहिब ठाकरे की जन्मदिन पर पार्टी का झंडा भगवा में बदलकर अपने इरादे जता दिए थे।
उद्धव ठाकरे को चचेरे भाई राज ठाकरे के हिंदूवादी राजनीति पर बढ़ते कदम से अपनी जमीन पर फसल काटने का डर घर कर गया है। यही कारण है कि उन्होंने राज ठाकरे के पार्टी के झंडे का रंग बदलने पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि पार्टी की रंग बदलने से कोई हिंदूवादी पार्टी नहीं हो जाता है।
उद्धव तब भी नहीं चुप बैठे जब 9 फरवरी को आयोजित रैली में मनसे चीफ राज ठाकरे ने सीएए और एनआरसी का खुलकर समर्थन किया। राज ठाकरे ने पाकिस्तानी और बांग्लादेशी घुसपैठियों को महाराष्ट्र से भगाने की मुहिम छेड़ने के बाद उद्धव ठाकरे सामने आए और महाराष्ट्र से बांग्लादेशी घुसपैठियों को बाहर करने की नीति पर शिवेसना का दावा ठोंकते हुए कहा कि बेवजह लोग इसमें श्रेय लेने की कोशिश कर रहे हैं।
माना जा रहा है कि उद्धव ठाकरे के सीएए और एनपीआर के समर्थन से क्रिया की प्रतिक्रिया जरूर आएगी। हालांकि एनसीपी और कांग्रेस दोनों दल अभी महाराष्ट्र की मौजूदा सरकार में बेहतर स्थिति में हैं इसलिए उनकी प्रतिक्रियाएं भी सधी हुई है प्रत्याशित हैं। यह इसलिए भी कहा जा सकता है, क्योंकि दिल्ली में प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृहमंत्री के साथ मुलाकात की तस्वीरें में अखबारों में छपी हैं।
कांग्रेस और एनसीपी उद्धव के स्टैंड पर कोई कड़ी प्रतिक्रिया देंगे इसकी उम्मीद कम है, लेकिन उम्मीद है कि दोनों दल सीएए और एनपीआर को लेकर अपना स्टैंड क्लियर करने में पीछे नहीं हटेंगी। दिल्ली में उद्धव ठाकरे कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी मुलाकात की थीं, लेकिन अभी तक कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
प्रधानमंत्री से दिल्ली में मुलाकात के बाद आयोजित एक प्रेस कांफ्रेस में महाराष्ट्र के सीएम उद्धव से जब पूछा गया कि वह सीएए पर कांग्रेस को क्या समझाएंगे? तो उन्होंने गोलमोल जवाब दिया। इससे पहले भी कांग्रेस और राकांपा एनपीआर और सीएए पर मुख्यमंत्री के रुख को लेकर नाराज थी, लेकिन ठाकरे ने गठबंधन सरकार में शामिल सहयोगियों के बीच कोई टकराव नहीं कहकर मामला रफा-दफा कर दिया था।
उल्लेखनीय है गत 23 जनवरी को हुए पहले अधिवेशन में राज ठाकरे ने स्पष्ट कर दिया था कि उनकी पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का इंजन अब हिंदुत्व के ट्रैक पर दौड़ेगा। यही डर उद्धव ठाकरे को पुनः अपनी रूट की ओर लौटने के लिए मजबूर कर रहा है।
लेकिन मनसे चीफ राज ठाकरे द्वारा भगवा झंडे के अनावरण के बाद जब से बांग्लादेशी और पाकिस्तानी घुसपैठियों को महाराष्ट्र से बाहर निकालने के मुद्दे पर झपट्टा मारा है, उद्धव ठाकरे हिल गए हैं और एक के बाद एक ऐसे संकेत दे रहे हैं, जिससे उनका वोटर उनसे चिपका रहे, लेकिन सेक्युलर दल से जुड़े रहकर अपने कोर वोटरों को समझाना मुश्किल होगा, यह उद्धव भी बखूबी समझते हैं इसलिए आर-पार के मोड में आ रहे हैं।
महाराष्ट्र सीएम की अपनी राय है, हम सीएए के खिलाफ खड़े हैंः NCP
एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा है कि सीएए पर उनका मत महाराष्ट्र सीएम उद्धव ठाकरे से अलग है, एनसीपी सीएए के खिलाफ हैं। उद्धव ने नागरिकता संशोधन कानून का समर्थन करते रहे हैं। मंगलवार को एक बार फिर उन्होंने इसका समर्थन किया है। उद्धव के बयान पर पवार ने कहा, महाराष्ट्र सीएम की अपनी राय है लेकिन अगर आप हमसे पूछेंगे तो हम नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हैं। हमने संसद में इसके विरोध में वोट किया है और लगातार अपना रुख साफ किया है। हम इस तरह से धर्म आधारित नागरिकता के समर्थन में नहीं हैं।
सीएए के विरोध को लेकर हमारा रुख बिल्कुल साफ हैः कांग्रेस
शिवसेना प्रमुख और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने नागरिकता संशोधन कानून के समर्थन में अपना बयान दिया है, उसके बाद से कांग्रेस के खेमे में हलचल मच गई है। कांग्रेस के नेता बाला साहेब थोराट ने कहा कि सीएए, एनआरसी और सीएए को लेकर कांग्रेस का रुख बिल्कुल साफ है, हम इसके पूरी तरह से खिलाफ हैं। महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष और गठबंधन सरकार में मंत्री थोराट ने कहा कि कांग्रेस पार्टी का रुख साफ है और हम इसको लेकर अपने सहयोगियों के साथ चर्चा करेंगे और उन्हें इस बारे में उन्हें समझाने की कोशिश करेंगे।
कांग्रेस सरकार में है तब तक महाराष्ट्र में सीएए लागू नहीं होने देंगी
उद्धव ठाकरे की सरकार में मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण कई बार कह चुके हैं कि जब तक उनकी पार्टी सरकार में है तब तक महाराष्ट्र में सीएए लागू नहीं होने देंगे। अशोक चव्हाण ने कहा, ‘महाराष्ट्र में तीन दलों का गठबंधन है। कांग्रेस सीएए, एनआरसी और एनपीआर पर अपना रुख स्पष्ट कर चुकी है। ये देशहित में नहीं है। इन तीनों मुद्दों पर शिवसेना का रुख साफ नहीं है। अगर इसमें कोई विवाद है तो ‘महाराष्ट्र कॉर्डिनेशन कमेटी’ जिसमें तीनों दलों के नेता हैं, इसपर चर्चा करेंगे और मसले को हल करेंगे।’
मुस्लिम बीजेपी को रोकना चाहते हैं, इसलिए शिवसेना को सपोर्ट किया
पूर्व महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण यह तक कह चुके हैं कि उन्होंने मुस्लिमों से पूछकर ही सरकार में उद्धव का समर्थन किया है। उन्होंने कहा था कि मुस्लिम बीजेपी को रोकना चाहते हैं, इसलिए कांग्रेस ने शिवसेना को सपोर्ट कर बीजेपी को सत्ता में आने से रोका है। अब देखना दिलचस्प होगा कि पीएम मोदी से मुलाकात के बाद सीएम उद्धव ने जिस तरह से सीएए का समर्थन किया है, उसके बाद कांग्रेस इसपर क्या रुख अपनाती है।
भीमा कोरेगांव CAA, NRC, NPR पर दो ध्रुव पर हैं कांग्रेस-शिवसेना
दिल्ली में शिवसेना चीफ उद्धवा ठाकरे ने कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात के दौरान सहयोग के लिए भले ही सोनिया का धन्यवाद किया, लेकिन उन्हें मालूम है कि सीएए-एनपीआर से उन्हें कांग्रेस का साथ और हाथ दोनों नहीं मिलेगा। सीएए और एनपीआर ही नहीं, कांग्रेस और शिवसेना दोनों दल, वीर सावरकर, भीमा-कोरेगांव और एनआरसी जैसे मुद्दों को लेकर हाल के दिनों में अलग अलग ध्रुव पर नजर आए हैं।
इसलिए सीएए के कांग्रेस के विरोध पर उद्धव ने दिया गोलमोल जवाब
शिवसेना प्रमुख उद्धव ने महाराष्ट्र गठबंधन सरकार में सहयोगी दल कांग्रेस के लगातार सीएए के विरोध सीधे-सीधे कुछ भी कहने से बचते रहे। उन्होंने कहा, मैंने अपने राज्य के सारे नागरिकों को आश्वस्त किया है कि किसी का अधिकार छिनने नहीं दूंगा। स्पष्ट है कि सीएए से किसी को डरने की जरूरत नहीं है। उद्धव आगे कहा कि एनपीआर भी किसी को घर से बाहर निकालने वाला कानून नहीं है। इस कानून के आने पर अगर लगा कि यह खतरनाक है तो हम इस पर आपत्ति करेंगे। इस बीच उन्होंने कांग्रेस और उसकी नाराजगी को पूरी तरह से दरकिनार किया।
पड़ोसी देश में हिंदू पीड़ित हैं, उन्हें नागरिकता देने का कानून है सीएए
प्रेस कांफ्रेंस में सीएम उद्धव ने बताया कि मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री मोदी के साथ सीएए, एनपीआर, एनआरसी सारी बातों पर चर्चा हुई और वह पूरी तरह से आश्वस्त हैं कि सीएए को लेकर किसी को डरने की आवश्यकता नहीं है, क्योकि यह कानून किसी को देश से निकालने के लिए नहीं है। अपने पड़ोसी देश में हिंदू पीड़ित हैं, उन्हें नागरिकता देने के लिए यह कानून है। सीएए किसी की नागरिकता नहीं लेगा। उद्धव ने कहा कि एनआरसी को लेकर सरकार संसद में कह चुकी है कि वह इसे नहीं लाने जा रही है। जहां तक असम की बात है तो वहां जो कुछ भी चल रहा है वह सबको पता है।
हिद्त्व प्लेटफार्म पर खड़ी राज ठाकरे की गाड़ी से घबराए उद्धव!
गत 23 जनवरी को हुए पहले अधिवेशन में राज ठाकरे ने स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का इंजन अब हिंदुत्व के ट्रैक पर दौड़ेगा। यही डर उद्धव ठाकरे को पुनः अपनी रूट की ओर लौटने के लिए मजबूर कर रहा है और भगवा झंडे के अनावरण के बाद जब से महाराष्ट्र नवनिर्माण चीफ राज ठाकरे ने बांग्लादेशी और पाकिस्तानी घुसपैठियों को महाराष्ट्र से बाहर निकालने के मुद्दे पर झपट्टा मारा है, उद्धव ठाकरे हिल गए हैं
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