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नई दिल्ली। देश में तेजी से बढ़ते कोरोना के दौरान ज्यादा प्रभावित राज्यों में लॉकडाउन की मांग कर चुके व्यापारिक संगठनों ने अब एक और मांग की है। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स की ओर से दिल्ली सहित देश की विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा लगाए गए। लॉकडाउन, आंशिक लॉकडाउन, नाइट कर्फ्यू जैसे अन्य प्रतिबंधों के मद्देनजर अब जीएसटी और इनकम टैक्स के अनिवार्य प्रावधानों को कैंसिल करने की मांग की है।
इस संबंध में कैट की ओर से केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को दो पत्र भेजे गए हैं। पहले पत्र में कहा गया था कि केंद्र सरकार व्यापारियों को 11 प्रकार के जीएसटी के प्रावधानों का अनिवार्य रूप से पालन करने को लेकर छूट दे. ताकि इन प्रावधानों का पालन न करने पर देश भर के व्यापारियों पर लगने वाले भारी जुर्माने और ब्याज से व्यापारियों को राहत मिल सके।
वहीं अब सीतारमण को एक और पत्र भेजकर अप्रैल के महीने में आय कर में किए जाने वाले 15 प्रकार के प्रावधानों के पालन को भी स्थगित करने की मांग की है. व्यापारियों की ओर से कहा गया है कि इन प्रावधानों का पालन न करने पर भी व्यापारियों को लेट फीस और ब्याज देना होगा जो बड़ा वित्तीय बोझ होगा.
कैट की ओर से कहा गया कि जीएसटी और आयकर अधिनियम के तहत अप्रैल के महीने में किए जाने वाले अनुपालन की अगर समय पर पालन नहीं किया गया तो ब्याज और भारी लेट फीस चुकानी पड़ सकती है. जबकि कोविड महामारी के कठिन समय जब सभी राज्य सरकारें एहतियाती कदम उठा रही हैं और अपने-अपने राज्यों में कोविड के प्रसार को रोकने के लिए पूर्ण कर्फ्यू, रात्रि कर्फ्यू, 72 घंटे का पूर्ण लॉकडाउन, पूर्ण लॉकडाउन, नियंत्रण क्षेत्र, आदि जैसे प्रतिबंध लगा रही हैं।
इन परिस्थितियों में सभी वैधानिक प्रावधानों का पालन करना व्यापारियों के लिए संभव नहीं होगा। इसलिए इन प्रावधानों के पालन में देरी को व्यापारियों द्वारा जानबूझकर किया गया अपराध न मानते हुए, देश में स्थिति सामान्य होने तक देरी के लिए शुल्क और दंड को स्थायी रूप से कम से कम तीन महीने के लिए स्थगित किया जाए।
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