आखिर कहां से आया कोरोना वायरस, लैब या प्रकृति, डेढ़ साल बाद भी अनसुझली पहेली है महामारी

वॉशिंगटन। मई 26 को अमरीका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने बताया कि देश की गुप्तचर संस्था को अपने प्रयास दोगुने करने के लिए कहा गया है। जिससे वो 90 दिन के अंदर ये पता लगाएं कि इंसानों में कोविड-19 (Covid-19) का वायरस आया कैसे, क्या ये किसी जानवर के ज़रिये इंसानों में पहुंचा या ये किसी ‘प्रयोगशाला में हुई दुर्घटना’ का नतीजा है।

प्रयोगशाला से निकलने के पीछे की कहानी
बाइडन की घोषणा के बाद, वायरस के वुहान लैब से लीक होने की बात को एक तरह की वैधता मिल गई है। इससे पहले पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके साथियों ने जब इस विचार का समर्थन किया था तब इसे दक्षिण पंथी या नस्लवादी साज़िश करार दिया था।

इस विचार को तब ज्यादा गंभीरता से लिया जाने लगा जब 15 जनवरी को ट्रंप प्रशासन के व्हाइट छोड़ने से 15 दिन पहले की एक गुप्त रिपोर्ट सार्वजनिक की, इस रिपोर्ट से पता चला कि वुहान लैब वाली बात को पिछले साल सितंबर 2020 से गंभीरता से लिया जा रहा है। त्तीन बातें जो जानना ज़रूरी

वुहान इन्स्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के शोधार्थी बुरी तरह से बीमार हो गए थे और उनमें जो लक्षण थे वो ठीक कोविड-19 और मौसमी बीमारी थे, खास बात ये है कि शोधार्थी 8 दिसबंर, 2019 के ठीक पहले बीमार पड़े। ये वो तारीख है जिस दिन कोविड का पहला मामला दर्ज किया गया था।

वुहान इन्स्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के शोधार्धी 2016 से चमगादड़ कोरोनावायरस के RaTG13 पर 2016 से ही शोध करने में लगे हुए थे, ये वायरस कोविड -19 से 96.2 फीसद समानता रखता है। RaTG13 को 2013 में ही युनान में एक खदान में मिले चमगादड़ के मल से अलग किया गया था, जहां 2012 में छह खदान में काम करने वालों की मौत हो गई थी। वुहान इन्स्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के लिए बेहद गुप्त शोध भी करता रहा है जिसमें जानवरों से जुड़े प्रयोग भी शामिल हैं।

हालांकि सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक बाइडन प्रशासन ने इस जांच की वैधता पर अधिकारिक तौर पर सवाल खड़े होने के बाद इस जांच को वक्त और संसाधन की बर्बादी कह कर बंद कर दिया था। लेकिन बाइडन पर कोविड-19 के उत्पत्ति को जानने को लेकर लगातार दबाव बढ़ता जा रहा था, खासकर ये दबाव तब और बढ़ गया जब डब्ल्यूएचओ वायरस की उत्पत्ति को लेकर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे पा रहा था।

मई 14 को जब 18 वैज्ञानिकों के एक समूह ने विज्ञान जरनल में लिखा कि ‘अगर इस महामारी से बचना है तो ये पता लगना बेहद ज़रूरी है कि वायरस कहां से आया है, ये प्राकृतिक है या लैब से निकला है।’ हमें इसे गंभीरता से लेना होगा।

मई 23 और 24 को वॉल स्ट्रीट जरनल में दो रिपोर्ट छपने के बाद बाइडन को सक्रिय होना पड़ा। पहली रिपोर्ट में अमरीकी गुप्तचर संस्था की रिपोर्ट का हवाला दिया गया जिसमें कहा गया था कि वुहान इन्स्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के तीन शोधार्थी नवंबर 2019 को बीमार पड़े थे। दूसरी रिपोर्ट में युनान की कॉपर खान के बारे में जानकारी दी गई थी जहां छह लोग बीमारी की वजह से मारे गए थे।

वायरस की खान
वॉल स्ट्रीट जरनल की रिपोर्ट बताती है कि खदान में काम करने वालो में गंभीर निमोनिया, और फेफड़ों में धब्बे मौजूद थे ठीक वैसे ही जैसे कोविड के मरीजो में पाए जाते हैं. अगले एक साल तक वुहान इन्स्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के वैज्ञानिक खान में पाए गए 276 चमगादड़ों के सैंपल पर अध्ययन करती रही। इस बीच उन्होंने एक कोरोनावायरस स्ट्रेन का पता लगाया जिसे RaBTCoV/4991 कहा गया। ये शोध 2016 में प्रकाशित हुई, 2020 फरवरी में इन्हीं शोधार्थियों ने नेचर पत्रिका में एक शोध प्रकाशित किया जिसमें बताया गया था कि RaTG13 के 96.2% जीनोम सीक्वेंस सार्स कोव-2 से मिलते जुलते हैं।

वैज्ञानिकों ने जब दुनिया के सामने सैंपल की तारीख और आंशिक जेनेटिक सीक्वेंस RaBTCOV/4991 और RaTG13 की समानता को सामने रखा, तो वुहान इन्स्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के शोधार्थियों ने दो वायरस की समानता की बात को स्वीकारा। लेकिन साथ में उनका ये भी कहना था 2012 में खान में काम करने वालों की मौत के पीछे ये वायरस नहीं था।

लैब के इस विरोधाभासी बयान और डेटा में पारदर्शिता नहीं बरतने को लेकर सवाल खड़े हुए। वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग इस बात से इंकार नहीं करते हैं कि लैब में अलग अलग चमगादड़ों कों मिलाकर नए वायरस बनाने पर काम कर रहा था, शायद ये प्रयोग वैक्सीन की खोज के लिए था लेकिन उसी दौरान गलती से ये खतरनाक वायरस लीक हो गया। मामला तब और ज्यादा गहरा गया जब वायरस की उत्पत्ति को लेकर डब्ल्यू एच ओ ने की स्पष्ट तस्वीर जारी नहीं की।

डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट
30 मार्च, 2021 को 120 पेज की एक रिपोर्ट जारी की गई जो वायरस की उत्पत्ति को लेकर साफतौर पर कुछ नहीं कहती है। रिपोर्ट में कहा गया था कि वायरस के जानवरों से इंसान में फैलने की आशंका बहुत ज्यादा है बनिस्बत किसी लैब लीक के, हालांकि लैब लीक को लेकर बहुत ज्यादा शोध भी नहीं की गई है। डब्ल्यू एच ओ के निदेशक का कहना है कि किसी भी आंशकाओं से इंकार नहीं किया जा सकता है। हालांकि लैब लीक वाली बात की आशंका कम है। इसके लिए आगे जांच जरूरी है जिसके लिए हमें विशेषज्ञों को शामिल करना होगा, जिसके लिए हम तैयार हैं। इस रिपोर्ट से कई देशों को चिंता में डाल दिया है।

अमरीका और अन्य 13 देशों ने डब्ल्यू एच ओ की चीन में शोध की रिपोर्ट पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि भविष्य में इस तरह की अंजान बीमारियों के प्रकोप से बचने के लिए विश्व को एक जुटता दिखानी होगी। वहीं, ईयू के सदस्य राज्यों ने कहा कि हमें वायरस के इंसानों में पहुंचने की जड़ तक जाने के लिए आगे अध्ययय करने की ज़रूरत है। जिन 18 वैज्ञानिकों ने वायरस की उत्पत्ति पर शोध लेख लिखा है उन्होंनें डब्ल्यू एच ओ का लैब लीक की आशंका को दरकिनार करते हुए जानवरों से वायरस के इंसानों में पहुंचने वाली बात की कड़ी आलोचना की है।

चीन का इंकार

चीन ने लैब वाली बात से इंकार करते हुए इसे अमरीका की फैलाई साज़िश बताया है. साथ ही उन्होंने ये तक कहा कि वायरस दरअसल वायरस मेरेलैंड में अमरीकी बेस, फोर्ट डेट्रिक से आया था. उन्होंने राष्ट्रपति बाइडन की जांच की घोषणा को राजनीति से प्रेरित और चीन को बदनाम करने के लिए उठाया गया कदम बताया है.

भारत की स्थिति

भारत ने बगैर चीन का नाम लेते हुए जहां डब्ल्यू एच ओ के अध्य्यन को पहला ज़रूरी कदम बताते हुए कहा कि कोविड-19 कहां से आया ये पता लगाने के लिए सभी को जांच में सहयोग देने का समर्थन किया.

लैब लीक के सिद्धांत को कैसे मिली ताकत

2019- पहली पहचान

दिसंबर 31- डब्ल्यू एच ओर ने वुहान शहर में अंजान कारणों से निमोनिया फैलने की पुष्टि की, जनवरी 7 को चीनी अथॉरिटी ने इसकी वजह नोवेल कोरोनावायरस बताया.

2020- आरोप और शंका

फरवरी 3 – नेचर में प्रकाशित एक लेख में वुहान इन्स्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के शोधार्थियो ने कहा कि सार्स-कोव-2 के जीनोम चमगादड़ कोरोनावायरस RaTG13 से 96.2% मिलते हैं. तीन दिन के बाद साउथ चाइना यूनिवर्सिटि ऑफ टेक्नोलॉजी ने एक लेख में कहा कि शायद वायरस वुहान में मौजूद प्रयोगशाला से निकला है, हालांकि बाद में इस लेख को वापस ले लिया गया.

फरवरी 19 – लैंसेट में 27 वैज्ञानिकों ने एक बयान जारी किया जिसमें इस षड़यंत्र के सिद्धांत को नकारते हुए वायरस के वन्यजीव से आने की बात की पुष्टि की. वहीं मार्च में नेचर मेडिसिन में प्रकाशित एक लेख में वैज्ञानिकों ने कहा कि सिद्धांत को साबित करना या उससे इंकार करना असंभव है लेकिन उन्हें नहीं लगता है कि ये लैब से निकला होगा.

मार्च 27 – अमरीकी गुप्तचर संस्था ने असुरक्षित प्रयोगशाला गतिविधियों की आशंका जाहिर करते हुए इसे कोरोनावायरस के फैलने की इसे वजह माना.

अप्रैल 30 – अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि वायरस प्रयोगशाला से निकला है लोगों का इस बात पर बहुत भरोसा है. तीन दिन के बाद, राज्य सचिव माईक पोम्पियो ने एबीसी न्यूज को बताया कि ऐसा पहली बार नहीं है जब चीन लैब की गलती की वजह से दुनिया को वायरस का प्रकोप झेलना पड़ा है.

जुलाई 4 – टाइम्स की रिपोर्ट में बताया गया कि सार्स कोव -2 जैसा वायरस 2012 में चीन की क़ॉपर खान में पाया गया था और वुहान ऑफ वायरोलॉजी में इसका अध्ययन हुआ था.

नवंबर 17 – बायोएसेस जरनल प्रकाशन ने एक लेख की हेडलाइन दी थी – ‘सार्स कोव-2 की जेनेटिक संरचना बताती है कि ये लैब से नहीं निकला’

2021 – मजबूत दावे

जनवरी 15 – अमरीका स्टेट डिपार्टमेंट की वुहान लैब पर जारी फैक्ट शीट को ट्रंप प्रशासन के जाने से 15 दिन पहले जारी किया गया जिसमें वायरस की लैब से निकलने की बात की गई थी.

मार्च 30 – डब्ल्यू एच ओ की रिपोर्ट लीक के मामले में स्पष्टतौर पर कुछ नहीं कहती लेकिन डब्ल्यू एच ओ महासचिव किसी भी तरह की आशंका से इंकार भी नहीं कर रहे हैं.

मई 14 – 18 वैज्ञानिकों के एक समूह ने साइंस में लिखे एक लेख में महामारी की उत्पत्ति को लेकर स्पष्ट होने की बात करते हुए, प्राकृति और प्रयोगशाला से निकलने वाले सिद्धांत पर जांज को लेकर गंभीरता से कदम उठाने की बात कही.

मई 23-24 – वॉल स्ट्रीट जरनल ने अमरीकी गुप्तचर संस्था की वुहान लैब के तीन शोधार्थियों के नवंबर 2019 में बीमार पड़ने की बात लिखी. उन्होनें अपनी एक और रिपोर्ट में 2012 में खदान में काम करने वालों के बीमार पड़ने और उनमें कोविड मरीज जैसे लक्षण पाए जानी की बात कही.

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