संवाददाता
बलदेव (मथुरा)। ब्रज के राजा दाऊजी महाराज का मंदिर वैदिक मंत्रोच्चार, घंटे, घड़ियाल नगाडे़, झांझ मजीरों की आवाजों से गूंज उठा। बोल दाऊजी महाराज की जय, बोल रेवती मैया की जय, नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की, नंद के आनंद भयो जय दाऊ दयाल की आवाज गूंजती रही। मंदिर को गुब्बारों और विद्युत की रंग बिरंगी रोशनी से सजाया गया था। हीरा जवाहरात धारण कर विशेष श्रृंगार में श्रीदाऊजी महाराज व माता व रेवती बड़े ही मनोहारी व आकर्षक लग रहे थे।
राजभोग के बाद आरती के दौरान श्रद्वाल भक्ति रस में सराबोर हो गये। मन्दिर में मुख्य आकर्षण का केन्द्र दधिकांधा रहा। यहां पर भक्तों में दही की बौछार से सराबोर होने की होड़ मच गई। इसी के साथ मंदिर में लुटाये गए मेवे मिष्ठान पर श्रद्धालुओं की गुत्थम-गुत्था देखते ही बनी। मल्ल विद्या, नारियल लुटाने का प्रदर्शन देख श्रद्धालु रोमांचक हो उठे। अलबेला छैल छिकनिया ब्रज को राजा दाउदयाल रसिया गायन से भक्त गद्गद हो उठे। समाज गायन करते मंदिर के सेवायत पंडा समाज के लोग क्षीर सागर की परिक्रमा करते हुए मोती बाजा, शिवरतन बाजार होते हुए मल्ल विद्या में लूटे नारियलों को दिखाते हुए अपने-अपने घरों को चले गएं। इस मौके पर संत राजेंद्र प्रसाद महाराज एवं यूपी की स्वतंत्र प्रभार शिक्षा मंत्री गुलाबो देवी आदि अतिथियों का स्वागत चेयरमैन कमल कुमार पांडे एवं मंदिर रिसीवर आर के पांडे आदि ने किया। गोकुल के चेयरमैन संजय दीक्षित भी आए। मंदिर के पुजारी रामनिवास शर्मा ने बताया कि लड़के की शादी के बाद दूल्हे का सेहरा क्षीरसागर में सिराने की परम्परा है। यही कारण है कि क्षीरसागर में शादी के हजारों सेहरा मोहर क्षीरसागर में सिराये गये है।
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